न्यूज़ डेस्क : हाल ही में सरकार ने निर्णय लिया था कि अब कोविशील्ड की पहली व दूसरी खुराक के बीच 12 से 16 सप्ताह यानी करीब तीन से चार माह का अंतराल रहेगा। उसे देखते हुए अब टीके की तारीख व समय चुनने की कोविन पोर्टल पर की गई व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। यह बदलाव पूर्व में तय स्लॉट पर लागू नहीं होगा।
कोरोना टीकाकरण के लिए बनाए गए कोविन डिजिटल पोर्टल में सरकार ने बदलाव किए है। कोविशील्ड वैक्सीन की खुराक के नए अंतराल को दर्शाने के लिए इसे पुन: कॉन्फिगर किया गया। इस बदलाव का असर कोविशील्ड की दूसरी खुराक के लिए पहले से बुक किए गए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट पर नहीं पड़ेगा। वे मान्य रहेंगे। उन्हें कोविन द्वारा रद्द नहीं किया जा रहा है।
सरकार ने कोविशील्ड की पहली खुराक लगवा चुके लोगों से आग्रह किया है कि वे दूसरी खुराक के लिए अपना नया अप्वाइंटमेंट तय कर लें। यह बढ़े हुए अंतराल के अनुसार तय किया जा सकेगा।
टीकों की कमी से संबंध नहीं
बता दें, 14 मई की मध्य रात्रि से कोविशील्ड की दूसरी डोज का समय बढ़ा दिया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह विशेषज्ञों के आकलन पर आधारित है। इससे टीकों की कमी को लेकर कोई विवाद नहीं खड़ा किया जाना चाहिए।
ब्रिटेन ने कम किया है अंतर, भारत ने बढ़ाया
भारत ने कोविशील्ड के दो टीकों के बीच अंतराल बढ़ाया है वहीं ब्रिटेन ने इसकी खुराक के बीच के अंतर को कम करने का फैसला किया है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि ब्रिटेन अपने यहां की स्थिति, म्यूटेंट और महामारी को देखते हुए कोविशील्ड की खुराक के बीच के अंतर को कम कर रहा है। हमने इसे अपने जोखिम महामारी विज्ञान के अनुसार निर्धारित किया है। यह विज्ञान द्वारा संचालित है और यह एक गतिशील प्रक्रिया है। हम इस पर पूरी नजर रख रहे हैं। हमने विशेषज्ञों के आकलन के आधार पर ही यह निर्णय लिया है।
केंद्र सरकार का कहना है कि विशेषज्ञों का आकलन है कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक 60-85 फीसदी तक कोरोना संक्रमण (सामूहिक रूप से हल्के, मध्यम और गंभीर स्थिति के लिए) से बचाव में प्रभावी है और कोरोना के प्रसार को भी रोकता है।
पहले था चार सप्ताह का अंतर
बता दें कि कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच जनवरी महीने में भारत में 28 दिनों का अंतर था जबकि इस टीके को विकसित करने वाली एस्ट्राजेनेका कंपनी ने 4-12 सप्ताह के अंतराल की सिफारिश की थी। कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा किया जा रहा है। कोविशील्ड वैक्सीन को ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर तैयार किया है। यही वजह है कि इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भी कहा जाता है।
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