श्री पितरेश्वर हनुमानजी की प्राणप्रतिष्ठा समारोह में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन भी भारी भीड़ रही।
न्यूज़ डेस्क : शहर भर के श्रद्धालुओं ने पितृ पर्वत पर रविवार का दिन धार्मिक पर्यटन में बिताया। सर्दी की इस सुहानी सुबह से पितृ पर्वत पर भक्तों का आगमन शुरू हो गया था।पर्यटन के साथ धार्मिक पुण्य लाभ के अद्भुत संयोजन से लोग सपरिवार यहां आ रहे है।
पर्यावरण, धर्म और आध्यात्म की सकारात्मक ऊर्जा के संचार से यहाँ वातावरण बहुत आनंदमयी हो गया है।
इधर श्रीमद भागवत कथा के आचार्य श्री राहुल कृष्ण जी शास्त्री ने अमृत पाठ करते हुए कहा,
शिव नवरात्रि के पावन समय मे भागवत कथा श्रवण का अवसर सौभाग्य का विषय है।
श्री मद भागवत कथा का सूत्र सत्य की खोज है। जो सब मे विराजमान होकर भी सबसे पृथक रहता है।जो पालनकर्ता है, संहारकर्ता है वही “सत्यं परम धीमहि” अर्थात सत्य रूपी ईश्वर की प्राप्ति ही मोक्ष का कारक है।
सत्य रूपी परमात्मा के ज्ञान की प्राप्ति से जन्मों के अज्ञान का अंधकार नष्ट हो जाता है।
तन, मन और धन शुद्ध होना चाहिए। ईश्वर के चरणों मे प्रेम समर्पण से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। भगवान भक्ति प्रिय होते है।वे निश्चल भक्ति से प्रसन्न हो जाते है।
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हम बोलते ज्यादा है, सुनते कम है। हमे दो कान अधिक सुनने और एक मुँह कम बोलने के लिए दिए गए है। ऐसा इसलिए है कि अच्छी बातें ध्यानपूर्वक सुनकर आत्मसात की जाए। सत्य की प्राप्ति, ईश्वर के प्रति समर्पण भाव धर्म है, धर्म की प्राप्ति से ही अर्थ की सार्थकता है। ईश्वर प्राप्ति की कामना ही मोक्ष का रास्ता है। मोह का क्षय करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कथा में, क्षेत्र क्रमांक 2 के विधायक श्री रमेश मेंदोला,भाजपा नेता श्री सूरज कैरो, श्री हरिनारायणयादव, श्री राजेन्द्र राठौड़, चिंटूवर्मा,आनंद चंदू राव शिंदेआदि उपस्थित थे।
वेदों में मन की बात नही ईश्वर की वाणी है, जिसके श्रवण से जीवन सफल हो जाता है।
भगवान के 24 अवतारों की महत्ता को सरल शब्दों में शास्त्री जी ने स्पष्ट किया। ऋषि वेदव्यास जी की कथा श्रुति से आपने वेद रचना का सार समझाया।
कथा के बीच में सुमधुर भजनों की प्रस्तुति से आनंद दोगुना हो रहा है लोग भजन सुनकर भगवत रस में झूम रहे हैं।
कथा का वाचन अपराह्न 3 बजे से प्रारंभ किया जाता हैं।
19 दिवसीय आयोजन में सवा लाख सुंदर कांड का पाठ भी 70 रामायण मंडलो द्वारा किया जा रहा है।
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