* आलोक दुबे फाउंडेशन की अनोखी पहल, जहाँ भगवान गणपति की स्थापना वहीं होगा विसर्जन 23 को
देश -प्रदेश में इंदौर के राजा गणपति प्रतिमा विसर्जन व पर्यावरण संरक्षण का अनुकरणीय संदेश
*प्रतिमा की मिट्टी बनेगी 10 हजार सिड्स बॉल जिनसे वर्षाकाल के पहले होगा पोधारोपण l सुबह से देर रात तक इंदौर के राजा के दर्शन के लिए लाखो श्रद्धालु पहुचे l शुक्रवार रात्री में संगीतमय गीतों की प्रस्तुतियां ने दर्शकों का मन मोह लिया l
इंदौर, 21 सितंबर 2018: मध्यभारत के सबसे लोकप्रिय गणेशोत्सव इंदौर के राजा में शहर, प्रदेश एवं देश वासियो को हर बार नए नए अनुभवो से जोड़ता है। जैसे – जैसे दिन बीत रहें हैं , श्रद्धालुओं का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है, यहाँ तक कि बारिश भी श्रद्धालुओं को इंदौर के राजा के दर्शन करने से रोक नहीं पा रही है। शुक्रवार रात को शहर में हुई बारिश का भी लोगों की भक्ति पर कोई खास असर नहीं नज़र आया। बारिश होने के बावजूद लाखों कि संख्या में श्रद्धालुओं ने इंदौर के राजा के दर्शन किए।
सामाजिक समरसता के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भाव भी इस गणेशात्सव में आम जन तक पहुँचाया जाता है। इसी को लेकर भगवान गणपति की प्रतिमा की जहाँ स्थापना होती है वही विर्सजन भी देश में पहली बार इंदौर में ही शुरू हुआ था। पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढाते है इस बार भी प्रतिमा का विर्सजन स्थापना स्थल पर जलाभिषेक के साथ रविवार 23 सितंबर को होगा।
आलोक दुबे फाउंडेशन विगत पांच वर्षो से शहरवासियों के साथ ही इंदौर को गणेशोत्सव में नई पहचान दिलाई है । इस वर्ष वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्डस् लंदन ने विश्व के सबसे बड़े अस्थाई गणपति पाण्डाल के लिए साढ़े बारह हजार स्केयरफिट में गुजरात अक्षरधाम की प्रतिमा बनाने पर फाउंडर आलोक दुबे को प्रदान किया गया। इससे पहले भी आलोक दुबे फाउंडेशन को गणेशोत्सव में गोल्डन बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्डस में पुरस्कार मिला है, जिससे इंदौर का नाम प्रदेश और देश स्तर एक नई शुरूआत की साथ पहचाना जाने लगा है। इस बार के गणेशोत्सव में विजयनगर चैराहे के समीप सवा लाख स्केयर फिट मैदान में आकर्षक अक्षरधाम की हुबहु प्रतिकृति बनाई गई है जिसमें 21 फिट की भगवान गणेश की इकोफ्रेंडली प्रतिमा की स्थापना की गई है। 10 दिवसीय आयोजन के समापन पर 23 सितंबर को विर्सजन भी यही होगा। देश में इस परंपरा की शुरूआत भी आलोक दुबे के नई सोच को प्रदर्शित करती है। पर्यावरण संरक्षण के विचार से इस प्रकार की पहल की गई जिसमें प्रकृति से मिट्टी प्रतिमा बनाने के लिए ली जाती है और वही मिट्टी प्रकृती को बिना की प्रदुषण के वापस लौटाने की दिशा में अनोखा प्रयास है।
आलोक दुबे फाउंडेशन के संस्थापक और “इंदौर का राजा” गणेशोत्सव के आयोजक श्री आलोक दुबे बताया कि उत्सव हमें जोड़ते है और हमारी परंपराए पर्यावरण के लिए सदैव हितैषी रही है। देखा जाता है की प्रतिमाओं के विर्सजन से नदीयां प्रभावित होती है प्रदुर्षण होता है इसलिए हमने इको फ्रेंडली प्रतिमा बनाने का संकल्प लिया । इस प्रतिमा की मिट्टी प्रकृति को वापस लौटा दी जाएगी एवं इसके साथ ही इस मिट्टी से 10 हजार सिड्स बॉल बनाकर प्रकृति में हरियाली फैलाई जाएगी’।
यह होगी सिड्स बॉल बनाने की प्रक्रिया आलोक दुबे ने बताया कि सिड्स बॉल बनाने में विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसमें पांच वस्तुओं का मिश्रण इन सिड्स बॉल को अगले वर्ष तक सुरक्षित रखेगा और वर्षाकाल से पहले इन्हे थ्रो ‘जहाँ पौधेरोपना होगा वहां फेका जाएगा‘। इसमें ‘बोरिक पाॅवडर‘ बीज की नमी को बनाए रखने के लिए,‘लाल मिर्च‘ बीज में कीड़ा लगने से बचाने के लिए,‘ खाद‘ अंकुरण के समय पौषण के लिए एवं ‘बीज‘ कनेर , इमली आदि और प्रतिमा से निकने वाली मिट्टीआदि के । इस प्रकार पांच वस्तुओं सिड्स बॉल तैयार हो जाती है।
12500 स्केयर फीट पांडाल की हर वस्तु का होगा रीयूस
आलोक दुबे ने बताया गुजरात गांधी नगर के अक्षरधाम मंदिर की प्रतिकृति 12500 स्केयर फीट में बनाई गई है लगने वाली हर वस्तुत का रीयूस होगा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किसी भी वस्तु फेंका नहीं जाएगा इस महल नुका विशाल पांडाल में 21000 बांस, 10 हजार मीटर रनिंग कपडा व 2 ट्रक थरमाकोल का उपयोग किया गया हे।
रविवार को सुबह 9 बजे हवन पूजन अभिषेक, 12 बजे से जलाभीषेक
आलोक दुबे बताया कि रविवार को गणेशात्सव के अंतिम दिवस भगवान गणपति प्रतिमा के सम्मुख अक्षरधाम के महलनुमा प्रतिकृति के अंदर 11 वैदिक आचार्यो के सानिध्य में पूजन एवं हवन शुरू हो जाएगा । दोपहर ठीक 12 बजे प्रतिमा का जलाभीषेक शुरू होगा जो 20 से 25 मिनट में सम्पन होगा ।जिसे आमजन भी देख सकेंगे।
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