सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए यूएनडब्ल्यूजीआईसी में आयोजित चर्चा में एकीकृत भू-स्थानिक सूचना ढांचे का महत्व
हाल में ही आयोजित हुई दूसरी संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी 2022) में विशेषज्ञों ने चर्चा की कि कैसे एकीकृत भू-स्थानिक सूचना ढांचा (आईजीआईएफ) जो सभी देशों में भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन को विकसित करने, उसे एकीकृत करके मजबूत बनाने और अधिकतम स्तर पर लाने के लिए एक आधार प्रदान करता है और वैश्विक चुनौतियों जैसे बाढ़, भूकंप, महामारी, ऊर्जा तथा डिजिटल सुरक्षा आदि सतत विकास के साथ ही समाज की भलाई के कार्यों में मदद कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के सांख्यिकी प्रभाग के निदेशक, स्टीफन श्वेनफेस्ट संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी 2022) के पूर्ण सत्र में ऐसे ढांचे के सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, डेटा निर्माता और डेटा उपयोगकर्ता के साथ-साथ विकसित एवं अविकसित देशों के सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भागीदारी की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
अमेरिकी जन गणना ब्यूरो (यूएस सेंसस ब्यूरो), यूएसए में भूगोल विभाग की प्रमुख, डिएड्रे दलपियाज़ बिशप ने इस सत्र में बताया कि बेहतर भविष्य के लिए स्थायी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास प्रदान करने के उद्देश्य से भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन को सुद्रढ़ करने के लिए व्यापक रणनीतियां, कार्यान्वयन मार्गदर्शिका और देश स्तरीय कार्य योजना” इस एकीकृत भू-स्थानिक सूचना ढांचे (आईजीआईएफ) के तीन मुख्य घटक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि “हम पहले से कहीं अधिक भौतिक एवं डिजिटल रूप से जुड़े हुए हैं और अब वैश्विक चुनौतियों से निपटने में आईजीआईएफ को लागू करने के लिए सभी देशों से बेहतर भू-स्थानिक डेटा, नवाचार, शिक्षा और संचार, और जुड़ाव के लिए सहयोग करने की आवश्यकता है, क्योंकि किसी भी देश में आई एक बड़ी आपदा का अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ता है”।
औद्योगिक प्रौद्योगिकी कंपनी ट्रिम्बल के उपाध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक अल्बर्ट मोमो ने डिजिटल परिवर्तन में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दिया। एपीआई बात को विस्तृत करते हुए उन्होंने कहा कि “यह सेंसिंग, मॉडलिंग, एनालिटिक्स के साथ-साथ भू-स्थानिक पेशेवरों, कृषि योजना, सिविल निर्माण, भवन डिजाइन, निर्माण और संचालन, परिवहन और रसद, पानी तथा अपशिष्ट जल संयंत्रों, बिजली संयंत्रों एवं आपूर्ति, क्षेत्र सेवाओं और सरकार के काम को भी बदल सकता है और हमारा लक्ष्य बेहतर दुनिया के लिए एक स्थायी भविष्य को सक्षम बनाना है”।
इस्वातिनी के कृषि मंत्रालय में प्रधान सचिव सिडनी सिमेलेन ने विशेष रूप से इस्वातिनी जैसे छोटे देशों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के शमन और अनुकूलन को लागू करने के लिए भू-स्थानिक जानकारी की उपलब्धता की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा कि “हमें डेटा मानकों, इंटरऑपरेबिलिटी और एक्सेसिबिलिटी को सुनिश्चित करने के लिए भू- स्थानिक जानकारी और संस्थागत ढांचे की उपलब्धता एवं उपयोग की सुरक्षा के लिए विधिक ढांचे की भी आवश्यकता है। जलवायु और अन्य पर्यावरणीय परिवर्तनों से निपटने के लिए सभी नीतियां, रणनीतियां और कार्य योजनाएं भू-स्थानिक जानकारी के बिना व्यर्थ हैं क्योंकि इस तरह की घटनाएं कहीं और होती हैं”।
इस दूसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी 2022) के दौरान, भारत की ओर से केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा “आईजीआईएफ के साथ संरेखण में भारतीय अनुभव” पर एक रिपोर्ट जारी की गई थी। इस अनुभव के आधार पर भारत संयुक्त राष्ट्र वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबन्धन – एशिया प्रशांत (यूएनजीजीआईएम – एपी) के तहत एकीकृत भू-स्थानिक सूचना ढांचे (आईजीआईएफ) पर नए गठित कार्य समूह की अध्यक्षता के लिए भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहा है।
इस पांच दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की गई है और वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन पर इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों की समिति द्वारा किया गया है। ‘विश्व को भू-सक्षम बनाना: कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए’ की विषय वस्तु के साथ आयोजित द्वितीय यूएनडब्ल्यूजीआईसी 2022 सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन एवं उसकी निगरानी का समर्थन करने के लिए एकीकृत भू-स्थानिक सूचना बुनियादी ढांचे तथा ज्ञान सेवाओं के महत्व को दर्शाता है।
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