न्यूज़ डेस्क : मतदान के दौरान अपनाए जाने वाले नन ऑफ द अबव (नोटा) विकल्प को लागू हुए छह वर्ष हो चुके हैं और इस अवधि में इसे अपनाने के प्रति मतदाताओं की उत्सुकता भी कम हो रही है।
नोटा के आने के बाद से अब तक कुल 37 विधानसभा औैर एक लोकसभा चुनाव हुए और नोटा पर केवल दो बार दो प्रतिशत से अधिक वोट पड़े। इस दौरान नोटा की मत प्रतिशत में हिस्सेदारी भी लगातार गिरती गई। वेबसाइट फैक्टली द्वारा जारी रिपोर्ट के इनपुट सहित जानिए नोटा की स्थिति…
इन 38 चुनावों में केवल एक बार ऐसा मौका आया, जब नोटा में पड़े वोट तीन प्रतिशत से अधिक थे। ऐसा 2013 में छत्तीसगढ़ विस चुनाव में हुआ। वहीं नोटा वोट केवल तेलंगाना में 2014 के 0.78% से बढ़कर 2018 में 1.09% हुए, बाकी सभी में घटे।
29 चुनाव में किसी भी सीट पर 5% से अधिक नहीं
बिहार में 2015 और छत्तीसगढ़ में 2013 के चुनाव में ऐसी पांच सीटें थीं, जहां पांच प्रतिशत से अधिक नोटा वोट पड़े। वहीं 38 में से 29 चुनावों के दौरान ऐसी एक भी सीट नहीं थी, जहां पांच प्रतिशत वोट पड़े हों।
बीते 38 चुनाव
पंजाब 0.57
हिमाचल प्रदेश 0.72
हरियाणा 0.37
दिल्ली 0.49
गुजरात 1.79
मध्यप्रदेश 1.55
बिहार 02
झारखंड 1.59
छत्तीसगढ़ 2.29
ओडिशा 1.49
पश्चिम बंगाल 1.31
उत्तराखंड 1.03
राजस्थान 1.47
(सभी आंकड़े प्रतिशत में)
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