न्यूज़ डेस्क : सहानुभुति और रचनात्मकता के जश्न में बच्चों को वंचित समुदायों के बच्चों से जुड़ने का मौका मिला
द गुरूकुल और स्माइल फाउन्डेशन ने विशेषाधिकार प्राप्त बच्चों को वंचित बच्चों के साथ जोड़ने के लिए की अनूठी पहल l
वंचित समुदायों के बच्चों ने अपने समृद्ध साथियों, अध्यापकों के सहयोग एवं मार्गदर्शन में चण्डीगढ़ के नज़दीक ज़ीरकपुर स्थित द गुरूकुल में दर्शकों, अभिभावकों, अध्यापकों एवं अन्य दिग्गजों का भरपूर मनोरंजन किया।
द गुरूकुल ने समाज के इस वंचित समुदाय के कल्याण के लिए एक विकास संगठन स्माइल फाउन्डेशन के साथ हाथ मिलाए हैं।
स्माइल फाउन्डेशन के मिशन एजुकेशन संेंटर से लगभग 50 बच्चों ने 19 और 20 मार्च को स्कूल परिसर में आयोजित सालाना ‘उपलब्धि दिवस’ में हिस्सा लिया। दो दिनों के दौरान बच्चों ने अपने बचपन का जश्न मनाते हुए कई गीतों और नृत्यों पर परफोर्मेन्स दिया। एक विशेष एक्ट के माध्यम से उन्होंने बाल मजदूरी और शिक्षा के अधिकार पर रोशनी डाली। स्कूल के छात्रों ने भी अपने परफोर्मेन्स के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
‘‘यह द गुरूकुल से जुड़े सभी अध्यापकों और छात्रों केे लिए शानदार यात्रा रही है, जिन्होंने द मिशन एजुकेशन सेंटर के बच्चों में एक नया भरोसा जगाया है, उनमें नृत्य, गायन और प्रदर्शन का अनूठा कौशल विकसित किया है। ये बच्चे बेहतरीन परफोर्मर के रूप में उभरे हैं और स्कूल ने उन्हें काॅस्ट्युम भी मुहैया कराए।’’ विनीत वैद्य, कंट्री डायरेक्टर, चाईल्ड फाॅर चाईल्ड, स्माईल फाउन्डेशन ने कहा।
‘‘हमने महसूस किया कि हमारे छात्रों में वंचित समुदायों के बच्चों के प्रति सहानुभुति होनी चाहिए। यह अनुभव आने वाले समय में उन्हें भावनात्मक रूप से और करीब लाएगा।’’ हिना शर्मा, स्कूल की प्रधानाध्यापक, द गुरूकुल ने कहा।
‘‘गुरूकुल में हम किताबों और पुस्तकालय के दायरे से बाहर, समग्र शिक्षा में भरोसा रखते हैं। इस हस्तक्षेप के माध्यम से हम उन्हें आने वाले कल के ज़िम्मेदार एवं सहानुभूतिपूर्ण नागरिक बनाना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा।
‘‘लोगों को वंचित समुदायों के लोगों के साथ जोड़ना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि उन्हें एक दूसरे से सीखने का मौका मिले।’’ शांतनु मिश्रा, सह-संस्थापक एवं ट्रस्टी, स्माइल फाउन्डेशन ने कहा।
‘‘जहां एक ओर कुछ बच्चों के पास मूल सुविधाओं और अवसरों का अभाव होता है, वहीं दूसरी ओर अन्य बच्चों के पास सभी सुविधाएं बहुतायत में होती हैं। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को इन वंचित बच्चों के लिए संवेदनशील बनाया जा सकता है, उन्हें इस उम्र में सहानुभुति के गुण सिखाना, अपने आस-पास के माहौल से सीखने के अवसर देना आसान है।’’ उन्होंने कहा।
चाइल्ड फाॅर चाइल्ड प्रोग्राम के बाद एक आॅडियो-विजु़अल डिज़ाइन के माध्यम से इन बच्चों को इंटरैक्शन, सिनेमा, आर्ट और संगीत के साथ जोड़ने का प्रयास किय गया।
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