न्यूज़ डेस्क : श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन के बाद अब निर्माण कार्य शुरू होगा। इसकी नींव 200 फुट गहरी होगी ताकि, मंदिर एक हजार साल तक अक्षुण्ण रहे। जिस तरह नदियों का पुल बनता है, उसी तरह नींव के पिलर खड़े होंगे। बस अंतर इतना होगा कि नींव में लोहे का प्रयोग नहीं होगा, बीम पत्थर की बनाई जाएगी। यह बातें श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने शुक्रवार को कारसेवकपुरम में पत्रकारों से बातचीत में कही।
राय ने कहा कि राममंदिर निर्माण में अब तकनीकी प्रक्रियाओं का चरण शुरू होगा। मिट्टी की जांच रिपोर्ट आने के बाद लार्सन एंड टुब्रो के इंजीनियर नींव तैयार करने का डायग्राम लेकर आ गये हैं। उनसे चर्चा हुई है, एक हजार साल तक मंदिर को आंधी, तूफान से कोई नुकसान न हो ऐसी तकनीकी का इस्तेमाल किया जाएगा। मंदिर की मजबूती का दारोमदार नींव पर होता है। नींव जमीन के नीचे वैसी डाली जाएगी, जैसे नदियों के पुल के खंभे बनते हैं, लेकिन यहां लोहे का प्रयोग नहीं होगा।
श्री राय ने बताया कि अयोध्या विकास प्राधिकरण से राममंदिर के साथ 70 एकड़ परिसर को ध्यान में रखकर नक्शे की स्वीकृति ली जाएगी। परिसर में कब कहां, क्या बनेगा यह बाद में तय होता रहेगा। संपूर्ण जमीन को ध्यान में रखकर नक्शे के शुल्क का कैलकुलेशन किया जाएगा। ट्रस्ट शुल्क में रियायत की मांग नहीं करेगा, भगवान का कार्य है, इसमें जन-जन का सहयोग है, सब कुछ नियमों के मुताबिक ही होगा। राममंदिर के भूमि पूजन से पहले तीन अगस्त को वास्तु पूजा करने और फावड़ा चलाने के सवाल पर कहा कि वे पूजा में शामिल थे। एक हजार आहुतियां भी डालीं। अगले दिन रामार्चा पूजा भी हुई। पीएम मोदी के शिलान्यास की पूजा में वे शामिल नहीं थे। इस पूजा के बाद जिसने जो कुछ भी डाला सब सुरक्षित लॉकर में रख दिया गया है। यह सोने, चांदी के नाग नागिन आदि कई सामग्रियां हैं।
जनता देखेगी जमीन से प्राप्त इतिहास
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि उनके मन में है कि श्रीरामजन्मभूमि की नींव की खुदाई के दौरान प्राप्त होने वाला ऐतिहासिक खजाना देश की जनता देखे, इस तरह की योजना बन रही है। अभी तक 12 से 13 फीट नीचे समतलीकरण के दौरान खोदाई हुई तो तमाम पौराणिक काल के शिलाखंड, देवी-देवताओं की मूर्तियां आदि मिले हैं। अब और नीचे खोदाई होगी तो पता नहीं क्या-क्या मिलेगा, हम सतर्क और सावधान रहेंगे, जो भी ऐतिहासिक सामग्रियां मिलेंगी उसे बताते रहेंगे।
भूमिपूजन में अयोध्या के 52 संत हुए थे शामिल
चंपत राय ने बताया कि राममंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में सबने अपने-अपने धर्म का पालन किया। मैं पहले भी कहता रहा हूं कि श्रीरामजन्मभूमि का मंदिर हिंदुस्तान के मूंछ का सवाल है, सम्मान का विषय है। हमारे आंदोलन में 15 से 20 हजार संतों की भागीदारी रही है लेकिन, भूमिपूजन में हम कुछ ही संतों को बुला सके। अयोध्या के बाहर के 90 संत व अयोध्या के कुल 52 संत ही कार्यक्रम में शामिल थे। जल्द ही ऐसा अवसर जरूर आएगा जब वे खुशी से स्वच्छंदता पूर्वक अयोध्या आ सकेंगे।
साधु के रूप में योगी को नवाया शीश
ट्रस्ट महासचिव ने मुख्यमंत्री योगी के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि योगी जी की तीन पीढ़ियां राममंदिर के काम में लगी रहीं। 1984 के आंदोलन के अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ ने ही थे। गोरक्षपीठ के पीठाधिपति व साधु के रूप में मैं योगी जी के चरणों में नतमस्तक होकर नमन करता हूं।
मोदी ने संस्कार को प्रकट किया
चंपत राय ने कहा कि संकटकाल में भी चारों तरफ की आलोचनाओं को सहन कर पीएम मोदी अयोध्या आए। माता-पिता, पूर्व जन्मों से प्राप्त संस्कारों को उन्होंने अपने व्यवहार में प्रकट किया, जब भगवान को साष्टांग दंडवत किया। इतने ऊंचे स्थान पर भी बैठकर यह विनम्रता हम उनका अभिनंदन करते हैं। हमने समाज से प्रसन्नता मनाने का आवाहन किया था संपूर्ण समाज ने अपनी भागीदारी निभाई।
रामलला के खाते में 42 करोड़ जमा
रामलला के खाते में अब तक 42 करोड़ जमा हो चुके हैं जिसमें 12 करोड़ रुपये पहले से रामलला के खाते में थे। ट्रस्ट बनने के बाद करीब 30 करोड़ का दान आ चुका है। मोरारी बापू ने 11 करोड़ की धनराशि, महावीर पटना ट्रस्ट ने दो करोड़ दिए हैं। मुंबई से एक करोड़ का दान मिला है पर्ची पर शिवसेना लिखा था इससे हमें लगता है यह दान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तरफ से आया होगा। ज.गु. रामभद्राचार्य ने भी एक करोड़ 51 लाख देने को कहा है। बाबा रामदेव द्वारा दान देने के सवाल पर कहा कि अभी हमने उनसे मांगा ही नहीं है, वे तो हमारे घर के हैं। विदेश से पैसा लेने के सवाल पर कहा कि अभी पैसा लेने के लिए अधिकृत प्रमाण पत्र ट्रस्ट को नहीं मिला है।
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