न्यूज़ डेस्क : दिल्ली और मुंबई से ज्यादा घातक वायु प्रदूषण ताजमहल के शहर में हैं। ब्लैक कार्बन और पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की जितनी मौजूदगी है, उससे आशंका है कि 80 फीसदी मौतें वायु प्रदूषण से हुईं। 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मृत्यु की मुख्य वजह सीओपीडी, फेंफड़ों के कैंसर और स्ट्रोक बन रही है।
प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी पर यह डरावनी हकीकत आगरा के दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के अध्ययन में सामने आई है। इसमें आगरा के वायु प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 कण और ब्लैक कार्बन की मौजूदगी से सेहत पर असर की पड़ताल की गई है। इंस्टीट्यूट की प्रतिमा गुप्ता, अशोक जांगिड़ और रंजीत कुमार ने वायु प्रदूषण में पीएम 10, 2.5 एवं ब्लैक कार्बन की मौजूदगी और उसके सेहत पर असर पर शोध पत्र पेश किया है। इसके एक हिस्से में पीएम कणों के कारण होने वाली मृत्यु के जो आंकड़े दिए गए हैं, वो बेहद डरावनी हकीकत से सामना कराने वाले हैं।
यह अध्ययन आगरा के करीब 8000 लोगों पर किया गया। इसमें आशंका जताई गई है कि पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों के कारण सबसे ज्यादा मौतें हो सकती हैं। गर्मियों, मानसून, मानसून के बाद और सर्दी में जिस स्तर पर वायु प्रदूषण पहुंच रहा है, उसमें प्राकृतिक मृत्यु की संख्या 1372 है, जबकि 6,818 की मौत वायु प्रदूषण के कारण सीओपीडी, फेंफडों के कैंसर और स्ट्रोक से होने की आशंका है।
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