सिपेट: इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी जयपुर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

नमस्कार,

 

100 साल की सबसे बड़ी महामारी ने दुनिया के हेल्थ सेक्टरके सामने अनेक चुनौतियां खड़ी कर दी, और ये महामारी बहुत कुछ सिखाया भी है और बहुत कुछ सिखा रही है।हर देश अपने-अपने तरीके से इस संकट से निपटने में जुटा है। भारत ने इस आपदा में आत्मनिर्भरता का, अपने सामर्थ्य में बढ़ोतरी का संकल्प लिया है। राजस्थान में 4 नए मेडिकल कॉलेज के निर्माणकेकार्य का प्रारंभ और जयपुर में इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी का उद्घाटन, इसी दिशा में एक अहम कदम है। मैं राजस्थान केसभी नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।और आज मुझे राजस्थान के एक विशेष कार्यक्रम में virtually मिलने का मोका मिला है।तो मैं राजस्थान के उस बेटे-बेटियों का भी अभिनंदन करना चाहता हूं।जिन्होंने ऑलिंपिक में हिन्दुस्तान का झंडा गाडने में अहम भूमिका निभाई है। वैसे मेरे राजस्थान के बेटे-बेटियों को भी मैं आज फिर से एक बार बधाई देना चाहता हूं।आज जब ये कार्यक्रम हो रहा है तब, जयपुर सहित देश के 10 CIPET सेंटर्स में प्लास्टिक और उससे जुड़े वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी चल रहा है। इस पहल के लिए भी मैंदेश के सभी गणमान्य नागरिकों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भाइयों और बहनों,

साल 2014 के बाद से राजस्थान में 23 नए मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी थी। इनमें से 7 मेडिकल कॉलेज काम करना शुरू कर चुके हैं। और आज बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण की शुरुआत हुई है। मैं इन क्षेत्रों के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैंने देखा है यहां के जो जनप्रतिनिधि रहे हैं, हमारे माननीयसांसद हैं, उनसे जब भी मुलाकात होती थी तो वो बताते थे कि मेडिकल कॉलेज बनने से कितना फायदा होगा। चाहे सांसद, मेरे मित्र भाई ‘कनक-मल’ कटारा जी हों, हमारीसीनियर एमपी बहन, जसकौर मीणा जी हों, मेरेबहुत पुराने साथीभाई निहालचंद चौहान जी हों या हमारेआधे गुजराती आधे राजस्थानी ऐसे भाईदेवजी पटेल हों, आप सभी राजस्थान में मेडिकल इंफ्रा को लेकर काफी जागरूक रहे हैं। मुझे विश्वास है, इन नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से समय पर पूरा होगा।

साथियों,

हम सभी ने देखा है कि कुछ दशक पहले देश की मेडिकल व्यवस्थाओं का क्या हाल था। 2001 में, आज से 20 साल पहलेजब मुझे गुजरात नेमुख्यमंत्री के तौर परसेवा का अवसर दिया, तो हेल्थ सेक्टर की स्थिति वहां की भी बहुत चुनौतियों से भरी हुई थी।चाहे वो मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर हो, मेडिकल शिक्षा हो, या फिर इलाज की सुविधाएं हो, हर पहलू पर तेज़ी से काम करने की ज़रूरत थी। हमने चुनौती को स्वीकारा और मिलकर स्थितियों को बदलने की कोशिश की। गुजरात में उस समय मुख्यमंत्री अमृतम योजनाके तहत गरीब परिवारों को 2 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा शुरु की गई थी। गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों में डिलीवरी के लिए चिरंजीवी योजना के तहत प्रोत्साहित किया गया, जिससे माताओं और बच्चों का जीवन बचाने में बहुत अधिक सफलता मिली। मेडिकल शिक्षा के मामले में भी बीते 2 दशकों के अथक प्रयासों से गुजरात ने मेडिकल सीटों में लगभग 6 गुना वृद्धि दर्ज की है।

साथियों,

मुख्यमंत्री के रूप में देश के हेल्थ सेक्टर की जो कमियां मुझे अनुभव होती थी, बीते 6-7 सालों से उनको दूर करने की निरंतर कोशिश की जा रही है।और हम सबको मालूम है हमारा संविधान के तहत जो federal structure की व्यवस्था है। उसमें हेल्थ ये राज्य का विषय है, राज्य की जिम्मेवारी है।लेकिन मैं राज्य का मुखयमंत्री रहा लम्बे समय तक। तो क्या कठिनाईयां है वो मुझे मालूम थी। तो मैने भारत सरकार में आकर के भले दायित्व राज्य का हो तो भी उसमे बहुत सारे काम करने चाहिए भारत सरकार ने और उस दिशा में हमने प्रयास शुरू किया।हमारे यहां एक बड़ी समस्या ये थी कि देश का हेल्थ सिस्टम बहुत ही अधिक टुकड़ों में बंटा हुआ था। अलग-अलग राज्यों के मेडिकल सिस्टम में राष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी और कलेक्टिव अप्रोच का अभाव था। भारत जैसे देश में जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य की राजधानियां या कुछ मेट्रो सिटीज़ तक ही सीमित थीं, जहां गरीब परिवार रोज़गार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं, वहां राज्यों की सीमाओं तक सिमटी स्वास्थ्य योजनाओं से बहुत लाभ नहीं हो पा रहा था। इसी प्रकार प्राइमरी हेल्थकेयर और बड़े अस्पतालों में भी एक बहुत बड़ा गैप नज़र आता था। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बीच भी तालमेल की कमी थी। गवर्नेंस की इन कमियों को दूर किया जाना बहुत जरूरी था। देश के स्वास्थ्य सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करने के लिए हमने एक राष्ट्रीय अप्रोच, एक नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर काम किया। स्वच्छ भारत अभियान से लेकर आयुष्मान भारत और अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन तक, ऐसे अनेक प्रयास इसी का हिस्सा हैं। आयुष्मान भारत योजना से ही अभी तक राजस्थान के लगभग साढ़े 3 लाख लोगों का मुफ्त इलाज हो चुका है। गांव देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने वाले लगभग ढाई हज़ार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आज राजस्थान में काम करना शुरू कर चुके हैं। सरकार का जोर प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर भी है। हमने नया आयुष मंत्रालय तो बनाया ही है, आयुर्वेद और योग को भी निरंतर बढ़ावा दे रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

एक और बड़ी समस्या मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की धीमी गति की भी रही है। चाहे एम्स हो, मेडिकल कॉलेज हो या फिर एम्स जैसे सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल हों, इनका नेटवर्क देश के कोने-कोने तक तेज़ी से फैलाना बहुत ज़रूरी है। आज हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि 6 एम्स से आगे बढ़कर आज भारत 22 से ज्यादा एम्स के सशक्त नेटवर्क की तरफ बढ़ रहा है। इन 6-7 सालों में 170 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो चुके हैं और 100 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज पर काम तेज़ी से चल रहा है। साल 2014 में देश में मेडिकल की अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की कुल सीटें 82 हजार के करीब थीं। आज इनकी संख्या बढ़कर एक लाख 40 हजार सीट तक पहुंच रही है। यानि आज ज्यादा नौजवानों को डॉक्टर बनने का मौका मिल रहा है, आज पहले से कहीं अधिक नौजवान डॉक्टर बन रहे हैं। मेडिकल एजुकेशन की इस तेज प्रगति का बहुत बड़ा लाभ राजस्थान को भी मिला है। राजस्थान में इस दौरान मेडिकल सीटों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। यूजी सीटें 2 हज़ार से बढ़कर 4 हज़ार से ज्यादा हुई हैं। पीजी सीटें राजस्थान में हज़ार से भी कम थीं। आज PG सीटें भी 2100 तक पहुंच रही हैं।

भाइयों और बहनों,

आज देश में प्रयास ये है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज या फिर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन देने वाला कम से कम एक संस्थान जरूर हो। इसके लिए मेडिकल शिक्षा से जुड़ी गवर्नेंस से लेकर दूसरी नीतियों, कानूनों, संस्थानों में बीते वर्षों के दौरान बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं। हमने देखा है कि पहले जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया- MCI थी, किस तरह उसके फैसलों पर सवाल उठते थे, भांति-भांतिके आरोप लगते थे, पार्लियामेंट में भी घंटों उसकी बहस होती थी। पारदर्शिता के विषय में सवालया निशान आते थे।इसका बहुत बड़ा प्रभाव देश में मेडिकल शिक्षा की क्वालिटी और हेल्थ सर्विसेस की डिलिवरी पर पड़ा रहा। बरसों सेहर सरकार सोचती थी कुछ करना चाहिए, बदलाव करना चाहिए कुछ निर्णय करना चाहिए, लेकिन नहीं हो पा रहा था। मुझे भी ये काम करने में बहुत मुशकिलें आई। संसद में कई, पिछली सरकार के समय करना चाहता था। नहीं कर पाता था। इतने ग्रुप इतने बड़े अड़ंगे डालते थे। बड़ी मुसिबतों से आखिरकार हुआ।हमें भी इसे ठीक करने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। अब इन व्यवस्थाओं का दायित्वनेशनल मेडिकल कमीशनके पास है। इसका बहुत बेहतर प्रभाव, देश के हेल्थकेयर ह्यूमन रीसोर्स और हेल्थ सर्विसेस पर दिखना शुरू हो गया है।

साथियों,

दशकों पुराने हेल्थ सिस्टम में आज की आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव जरूरी हैं। मेडिकल एजुकेशन और हेल्थ सर्विस डिलिवरी में जो गैप था, उसको लगातार कम किया जा रहा है। बड़े अस्पताल, चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट, उनके संसाधनों का नए डॉक्टर, नए पैरामेडिक्स तैयार करने में ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो, इस पर सरकार का बहुत जोर है। तीन-चार दिन पहले शुरू हुआ आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, देश के कोने-कोने तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में बहुत मदद करेगा। अच्छे अस्पताल, टेस्टिंग लैब्स, फार्मेसी, डॉक्टरों से अपाइंटमेंट, सभी एक क्लिक पर होगा। इससे मरीजों को अपना हेल्थ रिकॉर्ड संभालकर रखने की भी एक सुविधा मिल जाएगी।

भाइयों और बहनों,

स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी स्किल्ड मैनपावर का सीधा असर प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं पर होता है। इसे हमने इस कोरोना काल में औऱ ज्यादा महसूस किया है।केंद्र सरकार के सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीनअभियान की सफलता इसी का प्रतिबिंब है। आज भारत में कोरोना वैक्सीन की 88 करोड़ से अधिक डोज लग चुकी है। राजस्थान में भी 5 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज लग चुकी है। हजारों सेंटर्स पर हमारे डॉक्टर्स, नर्सेस, मेडिकल स्टाफ लगातार वैक्सीनेशन करने में जुटे हैं। मेडिकल क्षेत्र में देश का ये सामर्थ्य हमें और बढ़ाना है। गांव और गरीब परिवारों से आने वाले युवाओं के लिए सिर्फ अंग्रेज़ी भाषा में मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन की पढ़ाई एक और बाधा रही है। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई का भी मार्ग बना है। राजस्थान के गांव की, गरीब परिवारों की माताओं ने अपनी संतानों के लिए जो सपने देखे हैं, वो अब और आसानी से पूरे होंगे।गरीब का बेटा भी, गरीब की बेटी भीजिसको अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने का मौका नहीं मिला है। वो भी अब डॉक्टर बनकर के मानवता की सेवा करेगी। आवश्यक ये भी है कि मेडिकल शिक्षा से जुड़े अवसर समाज के हर हिस्से, हर वर्ग को समान रूप से मिलें। मेडिकल शिक्षा में ओबीसी और आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के युवाओं को आरक्षण देने के पीछे भी यही भावना है।

साथियों,

आज़ादी के इस अमृतकाल में उच्च स्तर का कौशल, न सिर्फ भारत की ताकत बढ़ाएगा बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने में भी बड़ी भूमिका निभाएगा। सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे उद्योगों में से एक, पेट्रो-केमिकल इंडस्ट्री के लिए, स्किल्ड मैनपावर, आज की आवश्यकता है। राजस्थान का नया इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी इस क्षेत्र में हर साल सैकड़ों युवाओं को नई संभावनाओं से जोड़ेगा। पेट्रोकेमिकल्स का उपयोग आजकल एग्रीकल्चर, हेल्थकेयर और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से लेकर जीवन के अनेक हिस्सों में बढ़ रहा है। इसलिए स्किल्ड युवाओं के लिए आने वाले वर्षो में रोज़गार के अनेक अवसर बनने वाले हैं।

साथियों,

आज जब हम, इस पेट्रोकेमिकल संस्थान का उद्घाटन कर रहे हैं, तो मुझे 13-14 साल पहले के वो दिन भी याद आ रहे हैं, जब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूपगुजरातमें हमने पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के Idea पर काम शुरू किया था। तब कुछ लोग इस Idea पर हंसते थे कि आखिर इस यूनिवर्सिटी की जरूरत क्या है, ये क्या कर पाएगी, इसमें पढ़ने के लिए छात्र-छात्राएं कहां से आएंगे? लेकिन हमने इस Idea को Drop नहीं किया। राजधानी गांधीनगर में जमीन तलाशी गई और फिर पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी- PDPU की शुरुआत हुई। बहुत ही कम समय में PDPU ने दिखा दिया है कि उसका सामर्थ्य क्या है। पूरे देश के विद्यार्थियों में वहां पढ़ने की होड़ लग गई। अब इस यूनिवर्सिटी के विजन का और विस्तार हो चुका है। अब ये पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी- PDEU केरूप में जानीजाती है। इस तरह के संस्थान अब भारत के युवाओं को Clean Energy के लिए Innovative Solutions के लिए अविष्कार का मार्ग दिखा रहे हैं, उनकी एक्सपर्टीज बढ़ा रहे हैं।

साथियों,

बाड़मेर में राजस्थान रिफाइनरी प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम जारी है। इस प्रोजेक्ट पर 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया जा रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी से पढ़कर निकलने वाले प्रोफेशनल्स के लिए ये प्रोजेक्ट बहुत से नए मौके बनाएगा। राजस्थान में जो सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन का काम हो रहा है, उसमें भी युवाओं के लिए बहुत संभावनाए हैं। 2014 तक राजस्थान के सिर्फ एक शहर में ही सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन की मंजूरी थी। आज राजस्थान के 17 जिले सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के लिए अधिकृत किए जा चुके हैं। आने वाले वर्षों में राज्य के हर जिले में पाइप से गैस पहुंचने का नेटवर्क होगा।

भाइयों और बहनों,

राजस्थान का एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तानी तो है ही, सीमावर्ती भी है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हमारी माताएं-बहनें बहुत सी चुनौतियों का सामना करती रही हैं। अऩेक वर्षों तक मैं राजस्थान के दूर-दराज के क्षेत्रों में आता-जाता रहा हूं। मैंने देखा है कि शौचालय, बिजली और गैस कनेक्शन के अभाव में माताओं-बहनों को कितनी मुश्किलें आती थीं। आज गरीब से गरीब के घर शौचालय, बिजली और गैस का कनेक्शन पहुंचने से जीवन बहुत आसान हुआ है। पीने का पानी तो राजस्थान में, एक प्रकार से आए दिन माताओं-बहनों के धैर्य की परीक्षा लेता है। आज जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान के 21 लाख से अधिक परिवारों को पाइप से पानी पहुंचना शुरू हुआ है। हर घर जलअभियान, राजस्थान की माताओं-बहनों-बेटियों के पैरों में जो सालों-साल छालेपड़तेहैं, उन पर मरहम लगाने का छोटापर ईमानदार प्रयास है।

साथियों,

राजस्थान का विकास, भारत के विकास को भी गति देता है। जब राजस्थान के लोगों को, गरीब की, मध्यम वर्ग की सहूलियत बढ़ती है, उनकी Ease of Living बढ़ती है, तो मुझे भी संतोष होता है। बीते 6-7 वर्षों में केंद्र की आवास योजनाओं के माध्यम से राजस्थान में गरीबों के लिए 13 लाख से अधिक पक्के घर बनाए गए हैं।पीएम किसान सम्मान निधि के तहत राजस्थान के 74 लाख से ज्यादा किसान परिवारोंके बैंक खाते मेंलगभग 11 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर हुए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य के किसानों को 15 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का क्लेम भी दिया गया है।

साथियों,

बॉर्डर स्टेट होने के नाते कनेक्टिविटी और बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट को प्राथमिकता का लाभ भी राजस्थान को मिल रहा है। नेशनल हाईवे का निर्माण हो, नई रेलवे लाइनों का काम हो, सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन हो, दर्जनों प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम जारी है। देश के रेलवे को ट्रांस्फॉर्म करने जा रहे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का भी बड़ा हिस्सा राजस्थान सेऔर गुजरात सेहै। इसका काम भी नए रोज़गार की अनेक संभावनाएं बना रहा है।

भाइयों और बहनों,

राजस्थान का सामर्थ्य, पूरे देश को प्रेरणा देता है। हमें राजस्थान के सामर्थ्य को भी बढ़ाना है और देश को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना है। ये हम सबके प्रयास से ही संभव है।सबका प्रयास, ये आजादी के 75 वर्ष में हमने ये सबका मही प्रयास इस मंत्र को लेकर केऔर ज्यादा ताकत से आगे बढ़ना है। भारत की आज़ादी का ये अमृतकाल राजस्थान के विकास का भी स्वर्णिम काल बने, ये हमारी शुभकामनाएं हैं। और अभी जब मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री जी को सुन रहा था। तो उन्होंने एक लंबी सूची कामों की बता दी। मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूं। कि उनका मुझपर इतना भरोसा है। और लोकतंत्र में ये ही बहुत बड़ी ताकत है। उनकी राजनीतिक विचारधारा भी पार्टी अलग है, मेरी राजनीतिक विचारधारा पार्टी अलग है लेकिन अशोक जी का मुझपे जो भरोसा है उसी के कारण आज उन्होनें दिल खोलकर के बहुत सी बाते रखी हैं। ये दोस्ती, ये विश्वास, ये भरोसा ये लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है। मैं फिर एक बार राजस्थान के लोगों का हृदय से अभिनंदन करता हूं। बहुत – बहुत बधाई देता हूं।

धन्यवाद !

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