इसरो के कर्मियों को अंतरिक्ष उद्योग की नवीनतम तकनीकों में कुशल बनाने के लिए बेंगलुरू, मुंबई और त्रिवेंद्रम में तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं
बेंगलुरू स्थित एनएसटीआई में पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया
- कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष विभाग के तकनीकी कर्मियों को उन्नत करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- मंत्रालय अगले 5 वर्षों में इसरो के 4,000 तकनीकी कर्मियों को प्रशिक्षित करेगा।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के तहत राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान ने बेंगलुरू, मुंबई और त्रिवेंद्रम में इसरो तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कर्मयोगी मिशन के अनुरूप यह एक क्षमता निर्माण पहल है। इसका उद्देश्य सरकारी कर्मियों के कौशल को उन्नत करना और वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में योगदान देना है। इसरो मुख्यालय स्थित सीबीपीओ के निदेशक श्री सुधीर कुमार ने एनएसटीआई बेंगलुरू में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष विभाग (इसरो) में तकनीकी कर्मियों के कौशल को उन्नत करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस सहभागिता के तहत ही इसरो तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के अंतरिक्ष उद्योग में नवीनतम रुझानों व जरूरतों के अनुरूप अपनी क्षमता बढ़ाने और अपने कौशल को विकसित करने को लेकर इसरो के तकनीकी कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रमों के संबंध में एक औपचारिक ढांचा स्थापित करना है। इस कार्यक्रम के तहत अगले पांच वर्षों में 4,000 से अधिक इसरो तकनीकी कर्मी पूरे भारत में स्थित विभिन्न एनएसटीआई में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
बेंगलुरू स्थित एनएसआईटी में प्रशिक्षण कार्यक्रम हाइड्रोलिक्स के विषय पर ‘औद्योगिक हाइड्रोलिक और नियंत्रण’ पाठ्यक्रम से शुरू किया गया है। इसमें विभिन्न विषयों को शामिल किया है। इनमें द्रव शक्ति प्रणाली, हाइड्रोलिक्स व न्यूमेटिक्स और बुनियादी हाइड्रोलिक नियमों के बीच अंतर, हाइड्रोलिक प्रणाली घटक, हाइड्रोलिक संकेतक, प्रवाह नियंत्रण वाल्व्स, दबाव विनियमन की अवधारणा, दबाव नियंत्रक वाल्व्स, हाइड्रोलिक संचायक और व्यावहारिक प्रदर्शन शामिल हैं। मुंबई स्थित एनएसटीआई ने ‘औद्योगिक स्वचालन (ऑटोमेशन)’ पाठ्यक्रम और त्रिवेंद्रम स्थित एनएसटीआई ने ‘सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट’ पाठ्यक्रम के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस पाठ्यक्रम की अवधि 5 दिन है। इसके तहत हर एक एनएसटीआई में 20 प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ भारत का अंतरिक्ष इकोसिस्टम तेजी से आगे बढ़ रहा है और इस तरह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम काफी अधिक महत्वपूर्ण हैं। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए इसरो के कर्मी उद्योग के रुझानों के साथ अपडेट रहने के अलावा उभरती हुई तकनीकों को एकीकृत और समझने में सक्षम होंगे। इससे न केवल कर्मियों को लाभ होगा, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि अंतरिक्ष उद्योग के विकास को जारी रखने के लिए ये कार्यक्रम जरूरी हैं और जैसे- जैसे अधिक से अधिक प्रौद्योगिकियां विकसित होती जा रही हैं, वे तेजी से महत्वपूर्ण होते जाएंगे।
अब तक आरडीएसडीई के क्षेत्रीय निदेशक श्री बीएन श्रीधर के मार्गदर्शन में बेंगलुरू एनएसटीआई में छह प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे किए जा चुके हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न पाठ्यक्रम हैं। इनमें एयरोस्पेस सीएनसी मशीनिंग, गुणवत्ता निरीक्षण, उन्नत वेल्डिंग तकनीकें, पीएलसी ऑटोमेशन, इलेक्ट्रो-न्यूमेटिक्स, इंजीनियरिंग निरीक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण, पम्प और वाल्वों का परिचालन व रखरखाव और उत्पादन तकनीकों में विनिर्माण प्रक्रियाएं व तकनीक शामिल हैं।
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