ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है :स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज
पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है। इसके विपरीत अज्ञानता समस्त दुःखों की मूल जननी है। लोकोपकारी प्रवृत्तियों का सृजन; अध्यात्म सम्पदा का रक्षण
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