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#AvdhesaNandJi

आवश्यकता है कि हम स्वयं का महत्व समझें, अपने भीतर की शक्तियों को पहचानें : आचार्यश्री जी

पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - यह मन ही है जो सांसारिक मतभेद पैदा करता है। जब साधक ज्ञान प्राप्त करता है और ब्रह्माण्ड के साथ एकत्व अनुभव करना शुरू कर देता है, तो मन का द्वैत मिट जाता है। इसलिए, हर समय शान्ति और समाधान प्राप्त करने के लिए…
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ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है :स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है। इसके विपरीत अज्ञानता समस्त दुःखों की मूल जननी है। लोकोपकारी प्रवृत्तियों का सृजन; अध्यात्म सम्पदा का रक्षण

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