आवश्यकता है कि हम स्वयं का महत्व समझें, अपने भीतर की शक्तियों को पहचानें : आचार्यश्री जी
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - यह मन ही है जो सांसारिक मतभेद पैदा करता है। जब साधक ज्ञान प्राप्त करता है और ब्रह्माण्ड के साथ एकत्व अनुभव करना शुरू कर देता है, तो मन का द्वैत मिट जाता है। इसलिए, हर समय शान्ति और समाधान प्राप्त करने के लिए…
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