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Avdhesanand ji maharaj : अवधेशानन्द जी महाराज की अमृत कथा

न्यूज डेस्क : पूज्य “सद्गुरुदेव” जी ने कहा - सनातन संस्कृति सिखाती है कि रूप, गुण, धर्म और विविधताओं के बाद भी सभी प्राणियों में एक ही सत्ता अर्थात् 'ब्रह्म' विद्यमान है। इसी सत्य “आत्मबोध” से जाति, धर्म और संस्कृति के भेद मिटते हैं। आज का…
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अन्यों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करना सबसे बड़ा धर्म है : अवधेशानंद जी महाराज

News Desk :  पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - रक्तदान न केवल सामाजिक उत्तरदायित्व है, अपितु अनेक हृदयों में विविध धमनियों द्वारा स्वयं की रक्त ऊर्जा संचरित कर अन्यों को स्वास्थ्य व जीवन दान देने का अलभ्य अवसर है। रक्तदान स्वास्थ्यवर्धक व जीवन…
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ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है :स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशीषवचनम्           ।। श्री: कृपा ।।  पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - ज्ञानार्जन श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है। इसके विपरीत अज्ञानता समस्त दुःखों की मूल जननी है। लोकोपकारी प्रवृत्तियों का सृजन; अध्यात्म सम्पदा का रक्षण…
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