नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को कहा कि संविधान पीठ द्वारा दिल्ली-केन्द्र विवाद की सुनवाई पूरी कर लिये जाने के बाद वो विभिन्न सेवाओं को अनिवार्य रूप से आधार नंबर से जोड़े जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इससे पहले यह संभव नहीं है।
इस दौरान केन्द्र ने प्रधान न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को बताया कि वह विभिन्न योजनाओं से आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 करने का इच्छुक है। न्यायमूर्ति गुप्ता के अलावा इस पीठ में न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि संविधान पीठ एक अंतरिम आदेश जारी करेगी।
आधार योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को अनिवार्य रूप से आधार से जोड़ने के सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने को लेकर लगातार दबाव बना रहे हैं। फिलहाल उच्चतम न्यायालय दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवायी कर रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली एक राज्य नहीं है और उपराज्यपाल इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 30 अक्तूबर को कहा था कि उसके समक्ष आये आधार संबंधी मामलों की सुनवायी के लिए संविधान पीठ का गठन किया जाएगा। मोबाइल फोन के नंबरों को आधार से जोड़ने को चुनौती देने वाली याचिका को अस्वीकार करते हुए 13 नवंबर को न्यायालय ने कहा था कि इससे मिलती-जुलती कई याचिकाएं उसके समक्ष लंबित हैं।
वर्तमान में आधार को बैंक खातों से जोड़ने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2017 है जबकि आधार को मोबाइल नंबरों से जोड़ने की आखिरी तारीख 6 फरवरी 2018 है।
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