न्यूज़ डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनावी बांड के जरिए दलों को चंदा देने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया परंतु सभी दलों को 30 मई तक बॉन्ड से मिले चंदे की रसीद और दानकर्ताओं की पहचान का विवरण सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया है l
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ में अंतरिम आदेश में कहा कि वह चुनाव बांड योजना के अनुरूप कानून को लाने के मकसद से आयकर कानून जनप्रतिनिधित्व कानून, कंपनी एक्ट , आरबीआई एकट आदि में किए गए संशोधन पर विस्तार से चर्चा करेगी l वह सुनिश्चित करेगी कि एक दल की ओर झुकाव ना हो l खरीदने की अवधि अप्रैल में 10 दिन से घटाकर 5 दिन करने का निर्देश भी दिया l जनवरी तथा अप्रैल में 5 दिन और चुनावी वर्षो में 30 दिन बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी l कोर्ट ने कहा कि गैर सरकारी संगठन की याचिका का निपटारा करने की तारीख बाद में तय की जाएगी l
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की यह दलील खारिज कर दी जिसमें उन्होंने कहा कि चुनावी बांड योजना में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और चुनाव के बाद विवेचना करनी चाहिए l सरकार ने यह भी कहा की दानदाताओं के नाम गुप्त रखना चाहिए ताकि दूसरी पार्टियों की सरकार आने पर उनको परेशान नहीं किया जा सके l वहीं एडीआर की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि पिछले एक महीने में लगभग 17 100 करोड़ का चुनावी बांड खरीद कर लोगों ने चुनावी पार्टियों को चंदा दिया है जिसमें 95 पर्सेंट की राशि भाजपा को मिली 10 लाख और एक करोड़ से ज्यादा के बांड बिके है l
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