नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में बनी मस्जिद हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को इस संबंध में नोटिस जारी किया है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था एक हफ्ते में दोनों पक्ष आपस में मामले को सुलझाएं दे। कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा था कि ये मस्जिद 1959 में बनी थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपसी समझौता कर कोर्ट को बताया जाए। वहीं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने सुझाव दिया था कि लॉयर्स चेंबर के पास जगह है, वहां मस्जिद बन सकती है।
नवंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की जमीन पर अतिक्रमण कर बनी मस्जिद के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मस्जिद को अवैध करार दिया था। हाईकोर्ट ने तीन माह में मस्जिद हटाकर जमीन का कब्जा हाईकोर्ट को वापस सौंपे जाने का निर्देश दिया था। इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि तय समय के भीतर जमीन पर हाईकोर्ट को कब्जा न सौंपे जाने पर रजिस्ट्रार जनरल पुलिस बल लगा कर जमीन को अपने कब्जे में ले लें।
कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, मस्जिद की प्रंबंध समिति सहित अन्य पक्षकारों को दूसरी जगह मस्जिद निर्माण के लिए डीएम को अर्जी देने का भी आदेश दिया था। कोर्ट ने इस अर्जी पर आठ हफ्ते में डीएम को निर्णय लेने का भी निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला ने हाईकोर्ट की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई गई मस्जिद को ध्वस्त करने मांग की थी। जिस पर महीनों चली लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 20 सिंतबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था।
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