अदालत को अब सम्मन और नोटिस जारी करने के लिए ई-मेल, फैक्स और व्हाट्सएप का भी इस्तमाल करने को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

न्यूज़ डेस्क : देश में कोरोना वायरस की स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को न्यायिक प्रक्रियाओं में तकनीकी का अधिक इस्तेमाल करने का फैसला किया है। इसके तहत कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अब अदालत सम्मन और नोटिस जारी करने के लिए मेल, फैक्स और व्हाट्सएप जैसे इंस्टैंट मैसेजिंग एप का इस्तेमाल करेगी। 

 

 


सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान वकीलों और वादियों को होने वाली समस्याओं का स्वत: संज्ञान लिया था। इस में अदालत ने मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने और चेक बाउंस होने के मामलों के लिए कानून के तहत निर्दिष्ट समयसीमा की अवधि 15 मार्च से अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया था।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी और एएस बोपन्ना वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने यह आदेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की ओर से जारी याचिका पर दिया। 

 

 

अदालत ने आदेश में कहा, लॉकडाउन के दौरान नोटिस और सम्मन की सेवाओं के मामले में यह देखा गया है कि डाकघर जाना संभव नहीं था। इस तरह की सेवा (नोटिस और सम्मन) ईमेल, फैक्स या त्वरित संदेश सेवा के माध्यम से की जा सकती है। हालांकि, अदालत ने व्हाट्सएप का नाम नहीं लिया और जीरॉक्स का उदाहरण देते हुए कहा कि कंपनी का नाम फोटोस्टेट का अर्थ बताने के लिए इस्तेमाल किया गया है।

 

कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल की उस आशंका को खारिज किया जिसमें उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप के जरिए नोटिस और सम्मन भेजना सही नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह से इन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म है। कोर्ट ने कहा कि इसकाब्ल्यू टिकफीचर का इस्तेमाल साक्ष्य अधिनियम के तहत अदालत के नोटिसों की सेवा को साबित करने के लिए किया जा सकता है और यदि एप को निष्क्रिय किया जाता है, तो यह साबित नहीं किया जा सकता है और इसलिए ऐसी सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है।

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