नई दिल्ली । मास्टर प्लान ऑफ दिल्ली-2021 में संशोधन पर आपत्तियां मंगाने के लिए केंद्र को 15 दिन का समय मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना पहले का आदेश बदल दिया है। छह मार्च को इसमें किसी भी तरह का संशोधन करने पर रोक लगाई गई थी।
जस्टिस मदन बी लोकुर व दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि वह लोगों से तय समय में आपत्तियां मंगवा ले, जिससे मास्टर प्लान में जरूरी बदलाव समय रहते किए जा सकें। डीडीए की तरफ से पेश हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से बेंच ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सरकार अंतिम निर्णय ले। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
गौरतलब है कि मास्टर प्लान दिल्ली के शहरी विकास का ब्लू प्रिंट है। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें संशोधन पर रोक लगाई थी, जिससे अवैध निर्माणों को सीलिंग की कार्रवाई से न बचाया जा सके। कोर्ट ने पहले की सुनवाई में कहा था कि उसकी तरफ से नियुक्त निगरानी समिति के काम में किसी ने रुकावट डाली तो यह अवमानना मानी जाएगी और संबंधित पर कार्रवाई होगी।
68 मीट ऊंचा कूड़े का पहाड़
सुप्रीम कोर्ट का रवैया तल्ख था। दो घंटे तक चली सुनवाई में डीडीए को जमकर फटकार लगाई गई। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में 68 मीटर ऊंचे पहाड़ हैं। हर तरफ प्रदूषण है। नहीं है तो पीने का पानी। आखिर दिल्ली जा कहां रही है। अटार्नी जनरल का जवाब था कि कड़ी व्यवस्था यहां तत्काल लागू होनी चाहिए। काम युद्ध स्तर पर हो रहा है। अटार्नी जनरल ने बताया कि अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के लिए बनाई गई स्पेशल टास्क फोर्स एक ऐसा एप बनाने जा रही है, जिस पर लोग शिकायतें दर्ज करा सकें।
कोर्ट ने आदेश दिया कि एप 15 दिनों के भीतर बन जाना चाहिए, जिससे लोग अपने सुझाव व शिकायतों को बता सकें। अटार्नी जनरल ने कहा कि बदनाम तो पुलिस है, लेकिन डीडीए में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। इससे निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उनका कहना था कि जिस अधिकारी के इलाके में अवैध निर्माण मिलेगा, उसकी जिम्मेदारी उसी पर होगी। कोर्ट का सवाल था कि ऐसे अफसर को सस्पेंड करेंगे क्या? आपने ये तो बताया नहीं कि कार्रवाई क्या होगी?’
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