महिन्द्रा बाहा एसएई इंडिया 2018 के ग्यारहवें संस्करण का सफलतापूर्वक समापन l बाहा अपने 11वें संस्करण के प्रथम भाग को पूर्ण करता है l श्रीमती काशिबाई नावाले काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग, पुणे ई-बाहा एवं डी.वाय.पाटिल काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग, पुणे एम-बाहा विजेता बनी l आंध्रप्रदेश के वूमन संस्थानों में से श्री विष्णु इंजीनियरिंग काॅलेज ई-बाहा में दूसरे स्थान पर रही और एम-बाहा में काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग, पुणे दूसरे तथा निरमा विश्वविद्यालय तीसरे स्थान पर रही।
इन्दौर, जनवरी , 2018: पीथमपुर में आयोजित महिन्द्रा बाहा एसएई इंडिया 2018 का बहुप्रतीक्षित 11 वाँ संस्करण कई उत्साहजनक पलों को स्मृति में छोड़ते हुए आज सफलतापूर्व सम्पन्न हुआ। 86 एम-बाहा टीमों में से कुल 46 टीमें और 25 ई-बाहा टीमों में से 7 टीमों ने एम-बाहा और ई-बाहा दोनों आयोजनों में एण्डुरेंस राउण्ड में मुकाबला पूर्ण किया। पुणे से श्रीमती कशिबाई नावाले काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग को बेस्ट ई-बाहा टीम एवं पुणे से ही डी.वाय. पाटिल काॅलेज आॅफ इंजिनियरिंग को बेस्ट एम-बाहा टीम घोषित किया गया।
एण्डुरेंस आयोजन को श्री बाबुल सुप्रियो, एक भारतीय पाश्र्व गायक, अभिनेता एवं राजनेता एवं भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम राज्यमंत्री साथ ही डाॅ. पवन गोयनका, प्रबंधकीय निदेशक, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि. द्वारा सुशोभित किया गया।ई-बाहा का यह चैथा संस्करण था, जिसका उद्देश्य भारत में उपेक्षित विद्युप गतिशीलता के लिये एक मंच प्रदान करना है। लगभग 388 टीमों द्वारा इस वर्ष बाहा एसएई इंडिया श्रृंखला के 11वं संस्करण के हेतु पंजीकरण किया गया, जिनमें से 221 (पीथमपुर के लिये 161 एवं रोपड़ के लिये 60) टीमों ने फाइनल के लिये अपनी योग्यता साबित की। हालांकि, केवल 112 (एम-बाहा के लिये 87 एवं ई-बाहा के लिये 25 टीमें) टीमों ने एण्डुरेंस राउण्ड में इसे बनाए रखा।
इस वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों के लगभग 4000 छात्रों ने बाहा एसएई इंडिया 2018 की थीम ‘ग्राउण्ड टू ग्लोरी’ का आनंद उठाया।बाहा जैसे आयोजनों को प्रोत्साहित करते हुए डाॅ. पवन गोयनका, प्रबंधकीय निदेशक, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि. ने अपने उद्बोधन मं कहा, ‘‘भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन ज्ञान और रचनात्मकता के सामने कईं प्रकार के व्यवधान निर्मित हो जाते हैं, इसलिये यह वांछनीय है कि ऐसी प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहित किया जाए। बाहा, छात्रों को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिये जोखिम उठाने का हौसला प्रदान करता है और उन्हें परम्परा से हट कर समाधान की खोज करने के लिये प्रेरित करता है।
इसलिये हम बहुत ही गौरव का अनुभव करते हैं कि हमने बाहा को लगभग 11 वर्ष पहले भारत में लाने में महित्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल दर साल बाहा में छात्रों द्वारा दिखाई गई सफलता और उत्साह से यह पता चलता है कि हमारी भूमिका ने कई नवाचारों को प्रेरित कर दीर्धकालिक समाज को लाभ पहुंचाया है।’’श्री मुकेश के. तिवारी, कन्वीनर बाहा एसएई इंडिया 2018 एवं उप महाप्रबंधक, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि. (टू-व्हीलर डिविजन) ने कहा, ‘‘भारत एक ऐसा देश है जो हमेशा अपरम्परागत विचारांे को प्रेरित कर, उन्हें वास्तविकता में बदलता रहा है, जिससे सभी देशों को लाभ होता है।
भारत के युवा ज्ञान का एक खजाना है और ये किसी भी प्रतिबंध से बाध्य नहीं है। यदि प्रदान की जाने वाली स्वतंत्रता और बिना व्यवधान का वातावरण उपलब्ध कराया जाए, तो युवा अनूठे समाधान के साथ नवीनता लाने में सक्षम हो सकते हैं। यह इस उद्देश्य के साथ है कि हमने बाहा एसएई इंडिया का इन सभी वर्षों में पूरा समर्थन किया, ताकि उद्योग और समाज के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों के व्यावहारिक समाधान के साथ इंजीनियरिंग छात्रों के अनुभव में नवाचार लाया जा सके।
’’स्थाई अयोजनों में टीम के लिये कई अन्य पुरस्कारों को शामिल किया गया है। पुणे से मराठवाड़ा मित्र मण्डल काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग और श्रीमती कशीबाई नावाले काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग (एम-बाहा) ने इंजीनियरिंग डिजाइन पुरस्कार जीता जबकि डाॅ. डी.वाय. पाटिल इंस्टीट्यूट आॅफ टैक्नोलाॅजी, पिंपरी, पुणे ने गो-ग्रीन-एमिशन अवार्ड जीता। पीथमपुर में आयोजित बाहा एसएई इंडिया 2018 आयोजन में कुल पुरस्कार राशि 22,40,000/- जीतने के अलावा छात्रों ने उत्साहपूर्वक भावना के साथ इस आयोजन में भाग लेकर सफलतापूर्वक उपब्धि हासिल की।यह चार दिवसीय आयोजन बुनियादी स्थिर मूल्यांकन के दौर के साथ शुरू हुआ, जिसमें डिजाइन मूल्यांकन, लागत मूल्यांकन और विपणन प्रस्तुतियाँ शामिल थीं।
अंतिम दौर में टीमों ने एक बीहड़ वाले पत्थरीले रास्ते पर अपने प्रोटोटाइप का प्रदर्शन किया, जिसका आॅफ-रोड़ चार पहिया वाहन का इंजीनियरिंग डिजाइन, सीएई, लागत और तकनीक नवाचार सहित विभिन्न मापदण्डों पर मूल्यांकन किया गया था। प्रतियोगिता का उद्देश्य वास्तविक दुनिया की इंजीनियरिंग डिजाइन परियोजनाओं और उनकी संबंधित चुनौतियों का अनुकरण करना था।
प्रत्येक टीम का लक्ष्य बगैर पेशेवर फैब्रिकेटर्स से सीधे जुड़े सुरक्षित, आसानी से पहुंचने में सक्षम, आसान प्रबंधन और ड्राइव प्रोटोटाइप को मनोरंजक बनाना था। हालांकि, टीमें अपने ट्रांसमिशन को डिजाइन करने के लिए स्वतंत्र थी, केवल 60 किमी की गति सीमा के साथ प्रतिबंध था। गतिशीलता मूल्यांकन राउण्ड में त्वरण, स्लेज पुल, गतिशीलता और निलंबन तथा ट्रेक्शन के लिए वाहनांे का परीक्षण किया गया।
टिकाउपन मूल्यांकन राउण्ड में वाहनों को ई-बाहा के लिए एक घंटे और एम-बाहा के लिये चार घंटे के एण्डुरेंस परीक्षण से गुजरना पड़ा। एण्डुरेंस आयोजन में प्रत्येक वाहन की निरंतरता और किसी भी मौसम की परिस्थितियों में बाधाओं से युक्त किसी भी क्षेत्र में तेजी से काम करने की क्षमता का मूल्यांकन किया गया। बाहा एसएई इंडिया 2018 के 11वें संस्करण का दूसरा हिस्सा आईआईटी, रोपड़, पंजाब में 8 से 11 मार्च 2018 तक आयोजित किया जाएगा।
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