न्यूज़ डेस्क : भगवान घनश्याम महाराज की जन्म स्थली स्वामिनारायण मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी पारम्परिक और अनूठे तरीके से की जा रही है। तैयारियों को लेकर हरिभक्त और स्थानीय लोग पूरी तत्परता के साथ महोत्सव में चार चांद लगाने में दिन रात मेहनत कर रहे हैं। पूरे मंदिर परिसर मंदिर जन्म स्थली स्मारक भवन नारायण सरोवर को नया रूप दिया जा रहा है। महोत्सव में देश के कोने-कोने, क्षेत्रीय लोगों और सैकड़ों की संख्या में विदेशों से आने वाले हरिभक्त महोत्सव में भाग लेते हैं। अबीर गुलाल, गांजे बाजे और आतिशबाजी से पूरा परिवेश भक्ति रस से सराबोर हो जाता है ।
मंदिर के महंत ब्रम्हचारी स्वामी वासुदेवानंद जी महराज और कोठरी ब्रम्हचारी स्वामी हरिस्वरूपा नंद महाराज ने बताया कि भगवान् घनश्याम महाराज की जन्म स्थली स्वामिनारायण मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की अनूठी परम्परा सदियों से चली आ रही है। अनेक सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गुजरात के भिन्न भिन्न भागों से आये हरिभक्त परम्परागत गरबा और डांडिया नृत्य से भगवान् श्रीकृष्ण और घनश्याम महराज की आराधना करते हैं। लोग गीत गाते हैं।
होता है दिव्य स्वर्ण श्रृंगार
महोत्सव में भगवान घनश्याम महाराज का दिव्य स्वर्ण श्रृंगार किया जाता है। एक अनूठी परम्परा है। भव्य चांदी की पालकी में भगवान् को स्वर्ण मुकुट पहनाया जाता है। विशेष प्रकार के बने चांदी के पालने में भव्य झांकी सजायी जाती है। महा अभिषेक का आयोजन किया जाता है। हरिभक्त भगवान का दिव्य दर्शन करते हैं । जो अद्भुत मनोरम दृश्य तन मन को भाव विभोर करने वाला होता है। स्वामिनारायण हरि धुन, भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है । महंत स्वामी स्वंय महा आरती करते हैं । महंत स्वामी और कोठरी स्वामी ने बताया कि जो श्रद्धालु भगवान के दिव्य स्वरूप का दर्शन करते हैं। उनकी सारी मनोकामना जरूर पूरी होती है।पुण्य की प्राप्ति होती है।
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