चाहे बात इंदौर आईआईटी की हो या फिर देशभर के आईआईटीज की, सभी जगह पढ़ाई को बीच में छोडऩे की प्रवृति से आईआईटी परेशान है। पिछले साल एमटेक में प्रवेश लेने वाले दो हजार स्टूडेंट ने बीच में ही पढ़ाई छोडऩे का फैसला किया था। इनमें से करीब 1,500 को पीएसयू में और 500 को निजी कंपनियों में नौकरी मिलने की वजह से आईआईटी को छोड़ा था। यदि इंदौर आईआईटी की बात की जाए तो यहां संस्थान की शुरुआत हुए कुछ ही साल हुए है इसके बावजूद हर साल करीब 10 स्टूडेंट ड्रॉपआउट होते है। सूत्रों की माने तो इस परेशानी को देखते हुए आईआईटी ने सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमो ं(पीएसयू) से एमटेक और पीएचडी के प्रवेश से पहले अपनी भर्ती प्रक्रिया खत्म करने के लिए कहा है। नौकरी मिलने के बाद एमटेक के स्टूडेंट सबसे अधिक ड्रॉपआउट होते हैं।
14 हजार सीटें है एमटेक की
जानकारों की माने तो आईआईटी में प्रवेश और पीएसयू में नौकरी के लिए स्टूडेंट को ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग(गेट) देना होता है। एक ही टेस्ट से उनके दोनों काम हो जाते हैं। देशभर की 23 आईआईटी में 72 हजार से अधिक सीटें हैं जिनमें 14,000 एमटेक की सीटें हैं। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों के आंकड़ों को देखें तो आईआईटी से ड्रॉपआउट होने वाले सबसे अधिक स्टूडेंट एमटेक और पीएचडी के ही होते हैं। दरअसल, एमटेक में प्रवेश मिलने के बाद जब स्टूडेंट को पीएसयू में बीटेक के आधार पर नौकरी मिल जाती है तो वह एमटेक की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ देते हैं। इस प्रवृति को रोकने के लिए पीएसयू से कहा है कि वे अपनी भर्ती प्रक्रिया को आईआईटी में एमटेक के प्रवेश से पहले ही पूरी कर लें। इससे एमटेक को करने के प्रति गंभीर स्टूडेंट ही एडमिशन लेंगे। निर्मला मेनन, पीआरओ आईआईटी इंदौर का कहना हैं हमारा संस्थान खुले ज्यादा समय नहीं हुआ है। यहां हर साल करीब 10 से कम स्टूडेंट ड्रॉपआउट होते है।
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एक नजर में
-बीटेक के आधार पर पीएसयू में नौकरी मिलने पर पढ़ाई छोड़ रहे आईआईटी के स्टूडेंट
-1500 स्टूडेंट ने पीएसयू में नौकरी मिलने पर पिछले साल आईआईटी को छोड़ा
-500 स्टूडेंट ने निजी कंपनियों में नौकरी मिलने की वजह से पढ़ाई बीच में छोड़ी।
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