न्यूज़ डेस्क : झारखंड की छुटनी देवी को इस बार पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। इन्हें कभी डायन कह कर घर-गांव से निकाल दिया गया था। 62 साल की छुटनी देवी के नाम के आगे अब भारत का श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री जुड़ गया है। एक समय इन्हें डायन के नाम पर प्रताड़ित किया गया था, बल्कि घर से बेदखल भी कर दिया था।
तब वह आठ माह के बच्चे के साथ पेड़ के नीचे रहीं। पति ने भी साथ छोड़ दिया था। आज वह अपनी जैसी असंख्य महिलाओं की हिम्मत और ताकत बन गई हैं। वह सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड की बिरबांस पंचायत के भोलाडीह गांव में रहती हैं। गांव में ही एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) के सौजन्य से संचालित पुनर्वास केंद्र चलाती हैं।
शादी के 16 साल बाद 1995 में एक तांत्रिक के कहने पर उन्हें गांव ने डायन मान लिया गया था। इसके बाद उसे मल खिलाने की कोशिश की थी। पेड़ से बांधकर पिटाई की गई। जब लोग उसकी हत्या की योजना बना रहे थे, पति को छोड़कर चारों बच्चों के साथ गांव छोड़कर चली गईं। इसके बाद आठ महीने तक जंगल में रहीं। गांव वालों के खिलाफ केस करने गईं, पर पुलिस ने भी मदद नहीं की।
इसके बाद उन्होंने अपनी जैसी पीड़ित 70 महिलाओं का एक संगठन बनाया है, जो इस कलंक के खिलाफ लड़ रहा है।
Comments are closed.