पत्तन अधिकारियों को व्यवसायों की भविष्य की आवश्यकताओं के लिए उन्हें तैयार करने को लेकर अपने पत्तनो के लिए भूमि पुनर्विकास योजना तैयार करनी चाहिए: श्री सर्बानंद सोनोवाल
हमें एमआईवी- 2030 के लक्ष्यों को गंभीरता से प्राप्त करने और हमारे प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करने के लिए विजन- 2047 को साकार करने की दिशा में काम करना चाहिए: श्री सर्बानंद सोनोवाल
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज दिल्ली में मंत्रालय की ‘चिंतन बैठक’ की अध्यक्षता की। इस बैठक में मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारियों, सभी प्रमुख पत्तनों के अध्यक्षों व पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग के अधीन अन्य संगठन के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक का एजेंडा भारत सरकार की विभिन्न पहलों और कार्यक्रमों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करना था। इनमें परिसंपत्ति मुद्रीकरण, राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन, पिछले चिंतन बैठक के दौरान हर एक पत्तन की ओर से चिह्नित अभिनव परियोजनाओं का कार्यान्वयन, पत्तनों में सभी वेटब्रिज का स्वचालन और इस वित्तीय वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय की स्थिति जानना शामिल है। इस बैठक के दौरान श्री सोनोवाल ने समुद्री अर्थव्यवस्था को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सोच को रेखांकित किया।
इस बैठक मंत्रालय के पूंजीगत व्यय लक्ष्यों की प्राप्ति पर चर्चा की गई, जिससे सरकार के समग्र व्यय लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। सभी प्रमुख पत्तनों को अपनी उपलब्ध भूमि के वांछित उपयोग पर विशेष जोर देना चाहिए और इस व्यवसाय की आगामी जरूरतों को पूरा करने व उन्हें आगामी आवश्यकताओं और निवेशों के लिए तैयार करने को लेकर एक भविष्य की विकास योजना तैयार करनी चाहिए।
चूंकि सभी पत्तनों ने समुद्री क्षेत्र में हरित इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, इसलिए इस बैठक में हरित पोत परिवहन को बढ़ावा देने और पत्तन परिचालन से कार्बन फुटप्रिंट (उत्सर्जन) को कम करने पर जोर देने की बात की गई। हरित पत्तन पहलों में पोतों से कचरे के निपटान के लिए किनारे पर व्यवस्था विकसित करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन के लिए परियोजनाओं को शुरू करना, बर्थ पर पोतों को किनारे की शक्ति प्रदान करना, सभी पत्तनों पर तेल रिसाव प्रतिक्रिया (टियर -1) क्षमताओं का निर्माण, टर्मिनल डिजाइन में टिकाऊ अभ्यासों का समावेश, विकास व परिचालन, पत्तन परिसर आदि के भीतर हरित कवर बढ़ाना आदि शामिल हैं।
इस बैठक के दौरान श्री सोनोवाल ने कहा कि इस चिंतन बैठक के दौरान व्यापक चर्चाएं समुद्री विजन- 2030 और विजन डॉक्यूमेंट- 2047 से संबंधित हैं, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अपने प्रमुख मंत्र ‘सुधार, प्रदर्शन और रूपांतरण’ को पूरा करने के लिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जैसा कि हमने पत्तनों पर विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा सुविधाओं की स्थापना का लक्ष्य रखा है, हमारे पत्तनों के प्रदर्शन में सुधार हो रहा है। यह हमारे पत्तनों को विकसित करने व आधुनिक बनाने और हमारे प्रधानमंत्री के पत्तननीत विकास दृष्टि को लागू करने के लिए हमारी योजना के सुचारू और तीव्र कार्यान्वयन के लिए रोडमैप तैयार करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
श्री सोनोवाल ने पिछले चिंतन बैठक के दौरान चर्चा की गई हर एक प्रमुख पत्तन की विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की और सभी पत्तन अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे समय पर वितरण के लिए पत्तनों पर चालू परियोजनाओं पर नजर रखें।
श्री सोनोवाल ने इस बात पर जोर दिया कि पत्तनों, पोत परिवहन और जलमार्गों के मंत्रालय के रूप में हमारी भूमिका पाइपलाइन को सुदृढ़ बनाने और सक्षम करने के लिए होनी चाहिए, जिसके माध्यम से इन आर्थिक परिवर्तनों को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस चिंतन बैठक के माध्यम से समुद्री क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क एक साथ आए हैं, जिससे हम सभी विभिन्न चुनौतियों व अवसरों पर विचार-विमर्श, चर्चा और निर्णय ले सकें।
2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक विशेष अभियान के बारे में मंत्री ने कहा कि हमें अपने सभी प्रयासों को प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान का समर्थन करने में लगाना चाहिए। इस क्रम में हमें ‘जहां स्वच्छता, वहां प्रभुता‘ के रूप में पत्तन के परिवेश को साफ सुथरा रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इस विशेष अभियान के दौरान लंबित मामलों का निपटारा किया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि वे स्वच्छता अभियान पर नजर रखने के लिए एक समिति भी नियुक्त करेंगे।
इस चिंतन बैठक के दौरान सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम) खरीद पर भी विस्तृत चर्चा की गई। वरिष्ठ अधिकारियों ने जेम मंच से खरीद के बारे में अपनी चिंताओं और सुझावों को साझा किया, जिस पर मंत्री ने कहा, ‘हम एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे, जिससे जेम सहज और अधिक समावेशी हो जाए।’
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