श्री सर्बानंद सोनोवाल ने लेह में राष्ट्रीय सोवा रिगपेन संस्थान (एनआईएसआर) के नए इमारत परिसर की आधारशिला रखी

सोवा रिगपेन को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहन देने के लिए एनआईेएसआर एक उत्कृष्टता केंद्र के तौर पर काम करेगा

लेह में 10 हेक्टेयर के क्षेत्र में ट्रांस हिमालय हर्बल चिकित्सकीय बाग विकसित किया जाएगा

केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन एवम् जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज लेह के साबू थांग क्षेत्र में राष्ट्रीय सोवा रिगेपन संस्थान (एनआईएसआर) के नए कॉम्प्लेक्स की आधारशिला रखी। नई अवसंरचना देश के लिए सोवा रिगपा की संभावनाओं का वृहद विस्तार होगा। इससे हिमालय से प्रदत्त इस भारतीय चिकित्सकीय विरासत के प्रसार के लिए जरूरी आधुनिक मंच भी उपलब्ध हो पाएगा। इस कार्यक्रम में आयुष राज्यमंत्री डॉ. महिंद्राभाई कालूभाई मुजपारा और लेह के सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल समेत अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।

नया कॉम्प्लेक्स, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद द्वारा 120 कैनाल के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा और यह देश में सोवा रिगपा के प्रतिनिधि संस्थान के तौर पर काम करेगा। पहले चरण में 25 करोड़़ रुपये की लागत से इसका निर्माण होगा, जिसमें भविष्य में परिसर में हॉस्पिटल ब्लॉक, हॉस्टल, स्टाफ क्वार्टर्स आदि की व्यवस्था उपलब्ध हो पाएगी। इस सुनियोजित निवेश और संस्थान में शिक्षकों की ज्यादा तैनाती करने का मकसद इस संस्थान को सोवा रिगपा का स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर का प्रतिनिधि संस्थान बनाना है।

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आयुष मंत्रालय संस्थान को 10 हेक्टेयर में एक हर्बल चिकित्सकीय बाग विकसित करने में भी मदद कर रहा है। इससे ना केवल हिमालय क्षेत्र के चिकित्सकीय पौधों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे इंसानी बीमारियों को ठीक करने में इनके उपयोग पर शोध करने में भी मदद होगी।

इस मौके पर बोलते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “पारंपरिक भारतीय चिकित्सकीय पद्धतियों की ताकत और उनकी संभावनाओं का पूरा इस्तेमाल लोगों को रोग से उबारने और उन्हें एक बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने में करना चाहिए। हमारी समृद्ध विरासत ने हमें सोवा रिगपा जैसी पद्धतियां दी हैं, जो अनंत काल से हिमालय के लोगों को लाभ दे रही हैं। आज सोवा रिगपा को काफी मिल रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री लगातार भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहन दे रहे हैं, ताकि मानव जाति का भला सहो सके। हमें पूरा विश्वास है कि इस तरह के कदमों से सोवा रिगपा को हिमालय क्षेत्र के परे जाकर पहचान मिलेगी और दुनियाभर के लोगों को इससे लाभ मिलेगा और उन्हें एक बेहतर, स्वस्थ्य और खुशहाल जिंदगी मिलेगी।

बता दें एनआईएसआर की स्थापना प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट के फैसले के बाद, 20 नवंबर 2019 को की गई थी। इसे आधिकारिक तौर पर 13 अप्रैल 2020 को पंजीकृत किया गया था।

राष्ट्रीय सोवा रिगपा संस्थान ने पहले ही आईआईएम (सीएसआईआर), टीकेडीएल (सीएसआईआर), एफएचआरआई, आईसीएफआरई, एमिटी विश्वविद्यालय और मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर लिए हैं और सोवा रिगपा व हिमालय क्षेत्र के चिकित्सकीय पौधों पर साझेदारी युक्त शोध शुरू कर दिया है। एनआईएसआर ने 2021-22 से सोवा रिगपा पढ़ने वाले छात्रों के लिए अंडर ग्रेजुएट कोर्स भी चालू कर दिए हैं। ‘बैचलर ऑफ सोवा रिगपा मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएसआरएमएस) साढ़ें पांच साल का कोर्स है, जो लद्दाख विश्वविद्यालय से संबंद्ध है। नीट परीक्षा से चयनित कुल 10 छात्रों को पहले ही इस पाठ्यक्रम में दर्ज किया जा चुका है। यह विशेषतौर पर हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश और लद्दाख के लोगों के लिेए लोकप्रिय है, जहां पारंपरिक चिकित्यकीय पद्धतियां काफी लोकप्रिय हैं।

एनआईएसआर सोवा रिगपा साहित्य और इसके संयोजन, बीमारियों और जनसांख्यिकीय अध्ययन पर शोध कर रहा है, साथ ही चिकित्सकीय पौधों के सर्वे, दस्तावेजीकरण और उनके संरक्षण पर भी काम जारी है। संस्थान ने सफलतापूर्वक अपने हर्बल बाग में रहोडिओला पौधों का बुवाई अध्ययन किया है। एनआईएसआर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिव मेडिसिन (सीएसआईआऱ), जम्मू और एमिटी के साथ एक साझा अध्ययन भी शुरू किया है, जो रहोडियोला पौधे की वैज्ञानिक संभावना से संबंधित है। इस तरह के पौधों में लद्दाख की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान देने की संभावना है। एनआईएसआर, सोवा रिगपा इलाज और थेरेपी भी लेह और जांस्कर के अस्पलातो में मुफ्त उपलब्ध करवा रहा है। यह सुविधा टीएसपी प्रोजेक्ट के तहत मोबाइल मेडिकल कैंपों के जरिेए उपलब्ध करवाई जा रही है। हर साल हजारों लोगों को सोवा रिगपा का लाभ इनसे मिलता है।

सोवा रिगपा दुनिया की सबसे पुरानी, उन्नत ढंग से दस्तावेजीकृत और सतत जारी चिकित्सकीय पद्धति है। हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, लद्दाख और दूसरे हिमालयी क्षेत्रों के सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक-सांस्कृतिक तंत्र में इसकी मजबूत जड़े हैं। स्वास्थ्य और कल्याण, पोषण, फार्मास्यूटिकल और लोगों की कॉस्मेटिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सोवा रिगपा के पास बहुत संभवनाएं हैं, जिससे क्षेत्र का आर्थिक विकास भी हो सकता है।

इस कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक, एलएएचडीसी के अध्यक्ष एडवोकेट ताशी ग्लासन, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में स्वास्थ्य और चिकित्सकीय शिक्षा के मुख्य सचिव डॉ. पदम गुरमीत, एनआईएसआर के निदेशक के अलावा आयुष मंत्रालय, लद्दाख प्रशासन के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी और आम लोग उपस्थित थे।

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