श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाने के लिए स्वच्छ, सस्ती, विश्वसनीय और टिकाऊ ऊर्जा की जरूरत है
अगर कीमतों को नियंत्रण में नहीं लाया गया तो वैश्विक आर्थिक सुधार कमजोर पड़ सकता है: श्री पुरी
ओपेक+ को अन्य देशों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस व आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज नई दिल्ली में सीईआरए सप्ताह के पांचवें इंडिया एनर्जी फोरम में अपने स्वागत भाषण में कहा कि भारत का मानना है कि ऊर्जा तक सस्ती और विश्वसनीय पहुंच होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाने के लिए स्वच्छ, सस्ती, विश्वसनीय और सतत ऊर्जा की जरूरत है। हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि जब तक हम नई ऊर्जा अवसंरचना का निर्माण नहीं कर लेते, तब तक विश्व को तेल और गैस की विश्वसनीय आपूर्ति की आवश्यकता है।
मंत्री ने कहा कि केवल यह कहना कि विश्व अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है, एक चुप्पी साधना होगा। उन्होंने आगे कहा कि ऊर्जा बदलाव के युग में, ऊर्जा बाजारों में असंतुलन इसकी प्रमुख विशेषता है।
श्री पुरी ने कहा कि तेल और गैस की कीमतों का मौजूदा स्तर बहुत अधिक है। भारत 85 फीसदी आयातित तेल पर निर्भर है। वहीं 55 फीसदी गैस के लिए आयात पर निर्भरता है। उन्होंने कहा कि देश के आयात बिल का 20 फीसदी इन्हीं मदों से जुड़ा हुआ है। पिछली तिमाही में इन वस्तुओं का आयात बिल पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में लगभग तीन गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक अस्थिरता और उच्च कीमतों के कारण हाइड्रोकार्बन ईंधन की घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। तेल की उच्च कीमतों का अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ता है, जिससे मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होती है और लॉजिस्टिक (रसद) लागत प्रभावित होती है। इस स्थिति को सचेत करने वाला बताते हुए श्री पुरी ने कहा कि अगर कीमतों को नियंत्रण में नहीं लाया गया तो वैश्विक आर्थिक सुधार कमजोर हो सकता है। उन्होंने आगे इस बात को रेखांकित किया कि कीमतें अनुमान लगाने योग्य, विश्वसनीय और स्थिर होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लंबे समय में उत्पादकों को भी प्रभावित कर सकता है। श्री पुरी ने कहा कि ओपेक+ देशों को उपभोक्ता देशों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।
श्री पुरी ने कहा कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनने के अपने प्रयासों में तेजी ला रहा है। उन्होंने कहा कि देश में पाइपलाइन, टर्मिनल, रीगैसिफिकेशन (फिर से गैसीकरण) सुविधाएं आदि अवसंरचना स्थापित करने के लिए लगभग 60 बिलियन (अरब) अमेरकी डॉलर का निवेश किया जा रहा है। देश “वन राष्ट्र-एक ग्रिड” के रास्ते पर है, जिसमें पाइपलाइन की लंबाई 19,000 किलोमीटर से बढ़कर 35,000 किलोमीटर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अन्वेषण का क्षेत्र भी बढ़ रहा है और देश ने तेजी से कई सुधार किए हैं, जिससे ईएंडपी क्षेत्र में अधिक निवेश हो। जैव-ईंधन के बारे में मंत्री ने कहा कि इथेनॉल-मिश्रण पहले ही 10 फीसदी तक पहुंच चुका है और हम इसे जल्द ही 20 फीसदी तक ले जाने के लिए दृढ़-संकल्पित हैं। एसएटीएटी योजना के तहत 20 बिलियन (अरब) अमेरिकी डॉलर के निवेश से 5000 सीबीजी संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए हजारों चार्जिंग स्टेशन लगाए जा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि हरित ऊर्जा की ओर बदलाव की शुरूआत के लिए हाइड्रोजन मिशन शुरू किया गया है।
भारत को अद्वीतीय मामला बताते हुए श्री पुरी ने कहा कि विश्व की लगभग 16 फीसदी आबादी के साथ भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत दुनिया का केवल एक तिहाई है। हमारी ऊर्जा खपत बढ़ने के लिए तैयार है, क्योंकि हम 2025 तक यूएस 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लिए ऊर्जा न्याय हमारी सरकार के लिए एक प्रमुख उद्देश्य और प्राथमिकता है।
श्री पुरी ने कहा कि भारत के पास वैश्विक समुदाय का छठा हिस्सा है और स्वच्छ ऊर्जा, शहरी विकास व स्वास्थ्य से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के प्रति हमारी प्रतिबद्धता उनकी सफलता सुनिश्चित करेगी। आम तौर पर एसडीजी के सफल होने के लिए, भारत का सफल होना जरूरी है। ऐसा होने पर ही सामाजिक-आर्थिक बदलाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऊर्जा क्षेत्र को इस रूप में देखते हैं, जो लोगों को सशक्त बनाता है और “जीवन जीने में सुगमता” को आगे बढ़ाता है।
मंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आगे बढ़ने के लिए पिछले साल भारत की ऊर्जा रणनीति के सात प्रमुख स्तंभों की परिकल्पना की थी। सामूहिक रूप से ये भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने में सहायता करेंगे। भारत एक एकीकृत तरीके से गैस आधारित अर्थव्यवस्था के विकास, जीवाश्म ईंधन के स्वच्छ उपयोग, 2030 तक 450 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने, जैव ईंधन को चलाने के लिए घरेलू ईंधन पर अधिक निर्भरता, विद्युत के योगदान में बढ़ोतरी, हाइड्रोजन जैसे उभरते ईंधन की ओर बढ़ने और सभी ऊर्जा प्रणालियों में डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम बड़े पैमाने पर स्वच्छ और हरित ऊर्जा की ओऱ बदलाव के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत जलवायु कार्रवाई पर अपनी प्रतिबद्धता को लेकर अडिग है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा से संबंधित सर्वश्रेष्ठ अभ्यास पर श्री पुरी ने कहा कि समय को देखते हुए नए भारत के निर्माण में सबसे अच्छे विचारों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे अनुबंध अच्छे अंतर्राष्ट्रीय पेट्रोलियम उद्योग अभ्यासों के साथ जुड़े हुए हैं, हालांकि उन्होंने सवाल किया कि क्या ये पर्याप्त हैं या क्या इनके बीच कोई अंतर है, जिनका नवीन सोच और कार्यान्वयन के साथ समाधान करने की आवश्यकता है।
श्री पुरी ने कहा कि फोरम में इस साल की विषयवस्तु ‘भारत के नए ऊर्जा भविष्य का निर्माण: स्वच्छ, वहनीय, विश्वसनीय, टिकाऊ’ को अच्छी तरह से चुना गया है, क्योंकि भारत के ऊर्जा परिवर्तन के कई आयाम हैं। इसके अलावा परिणामों पर लगातार ध्यान देने के साथ भारत का ऊर्जा क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
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