श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा, धातु क्षेत्र वर्ष 2024-25 तक आत्मनिर्भर भारत और 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है

इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि इस्पात आधुनिक दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण उत्पादों में से एक है और किसी भी औद्योगिक राष्ट्र के लिए रणनीतिक महत्व की वस्तु है। श्री कुलस्ते आज नई दिल्ली में एसोचैम द्वारा भारतीय धातु उद्योग: वर्तमान परिदृश्य और भविष्य के रुझान विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मंत्री महोदय ने कहा कि जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में इसके विविध लाभों के कारण भारत में इस्पात की खपत लगातार बढ़ रही है। श्री कुलस्ते ने यह भी बताया कि भारत में, बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्र में इस्पात की खपत का हिस्सा 65 प्रतिशत से अधिक है और शेष इंजीनियरिंग, पैकेजिंग और ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों द्वारा उपयोग किया जाता है, जो साल दर साल इस्पात के अनुप्रयोग में सराहनीय वृद्धि प्रदर्शित कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि निर्माण, तेल एवं गैस, ऑटोमोबाइल, मशीनरी जैसे अन्य क्षेत्रों के साथ मजबूत संबंधों के कारण इन क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ इस्पात की मांग लगातार बढ़ रही है। अपने भाषण में, मंत्री महोदय ने सदियों से लौह और इस्पात के अलावा तांबा, एल्युमीनियम और जस्ता के योगदान सहित धातु उद्योग की ऐतिहासिक प्रगति का उल्लेख किया। भारत में इस्पात के बढ़ते उपयोग के बारे में विस्तार से बताते हुए, श्री कुलस्ते ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत दस प्रतिशत बढ़कर 77 किलोग्राम हो गई। अनंतिम अनुमानों के अनुसार भारत ने वर्ष 2021-22 में 120 मिलियन टन से अधिक कच्चे इस्पात और 113.6 मिलियन टन तैयार इस्पात के रिकॉर्ड उत्पादन के साथ रिकॉर्ड 13.5 मिलियन टन तैयार इस्पात का निर्यात किया है। मंत्री महोदय ने अवगत कराया और आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार देश के हित के लिए विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के साथ लगातार बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का प्रमुख ध्यान आत्मनिर्भर भारत के साथ पूरे देश में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देना है।

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श्री कुलस्ते ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने कई परियोजनाओं जैसे राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी), सागरमाला परियोजना, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान आदि की शुरुआत की है, ताकि इस पर होने वाली लागत को कम किया जा सके, लॉजिस्टिक्स लागत जो वर्तमान में भारत में विकसित देशों में सकल घरेलू उत्पाद के 7-8 प्रतिशत की तुलना में लगभग 13-14 प्रतिशत है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से माल ढुलाई में समय की बचत होगी, साथ ही लॉजिस्टिक्स लागत भी कम होगी, जिससे उद्योग के लिए लागत कम होगी और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद ग्राहकों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध हो सकेंगे। श्री कुलस्ते ने इस्पात उद्योग को विकल्प संबंधी चुनौतियों और कम्पोजिट मैटेरियल जैसे सस्ते विकल्पों के बारे में आगाह किया जो समय के साथ बढ़ेंगे। इसलिए प्रौद्योगिकी की शुरुआत और स्मार्ट वर्किंग द्वारा लागत को कम करना महत्वपूर्ण है। मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उच्च श्रेणी के लौह अयस्क की घरेलू उपलब्धता, मजबूत घरेलू मांग और युवा कार्यबल की उपलब्धता के कारण भारत को इस्पात उत्पादन में अपने साथियों पर प्रतिस्पर्धी लाभ उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि देश में खनिजों की भारी उपलब्धता के कारण वर्ष 2024-25 तक देश की महत्वाकांक्षी योजनाओं यानी आत्मनिर्भर भारत और 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में धातु क्षेत्र अहम भूमिका निभा सकता है।

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मंत्री महोदय ने इस बात पर जोर दिया कि उद्योग और अन्य हितधारकों को सामूहिक रूप से उन सभी क्षेत्रों और कारकों की पहचान करने की आवश्यकता होगी जो इन धातुओं की खपत में वृद्धि में योगदान दे रहे हैं ताकि आम आदमी के लिए सस्ती कीमत पर उपलब्धता में सुधार हो सके। श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार द्वारा कई रणनीतिक और प्रासंगिक पहलों और परिवर्तनों के अतिरिक्त कई अन्य बातों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार के माध्यम से घरेलू क्षमता को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। यह न केवल भारतीय धातु और धातु विज्ञान क्षेत्र को वास्तव में वैश्विक बनने में सक्षम करेगा, बल्कि भारत को धातु एवं धातु उत्पादों के लिए एक विनिर्माण केंद्र बनाने में भी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि देश में खनिज भंडार के विकास की आवश्यकता को युक्तिसंगत बनाना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से लौह, कोयला, बॉक्साइट, चूना, तांबा, मैंगनीज, क्रोमियम आदि जैसे खनिज जो आर्थिक विकास का आधार हैं। श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने विभिन्न उद्योग संघों से ग्रामीण भारत में जाने और लोगों को छोटी बैठकों या सेमिनारों के माध्यम से सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वे वहां कौशल विकास कार्यक्रम चला सकते हैं और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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