इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के सचिव श्री अल्केश कुमार शर्मा ने सी-मेट, हैदराबाद में पीसीबी पुनर्चक्रण केंद्र का उद्घाटन किया
स्वदेशी रूप से विकसित ई-कचरा पुनर्चक्रण तकनीक भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन और चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देती है - श्री अल्केश कुमार शर्मा
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव, श्री अलकेश कुमार शर्मा ने आज हैदराबाद में सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी-एमईटीटी) में 1 टन प्रति दिन की क्षमता वाले पीसीबी पुनर्चक्रण केंद्र का उद्घाटन किया।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव श्री अलकेश कुमार शर्मा पीसीबी पुनर्चक्रण केंद्र का उद्घाटन करते हुए
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री अलकेश शर्मा ने उल्लेख किया कि ई-कचरा प्रबंधन की दिशा में एक चक्रीय अर्थव्यवस्था की परिकल्पना संसाधन दक्षता, प्रदूषण में कमी, कीमती सामग्री की वसूली और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने ई-कचरा पुनर्चक्रण उद्योगों को पुनर्चक्रण के लिए बाहर भेजने के बजाय भारत में अपना संयंत्र स्थापित करने में मदद करने के लिए विशेष योजना शुरू की है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वदेशी रूप से विकसित ई-कचरे की पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियां भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन को और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी के लिए सामग्री केंद्र (सी-एमईटी) भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त वैज्ञानिक समिति है। इसकी तीन अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाएँ हैदराबाद, पुणे और त्रिशूर में स्थित हैं, जो महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों पर विभिन्न रुझान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। सी-मेट, हैदराबाद प्रयोगशाला धातुओं और मिश्र धातुओं सहित उच्च शुद्धता, अर्धचालकों और रणनीतिक सामग्रियों के विकास पर केंद्रित है।
सी-मेट, हैदराबाद के प्रमुख क्षेत्रों में से एक देश में संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों का विकास करना है। भारत प्रति वर्ष लगभग 3.2 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक कचरे का उत्पादन करता है जिसमें खतरनाक सामग्री के अलावा सोना, पैलेडियम, चांदी आदि जैसी कई कीमती सामग्री शामिल होती है जो मानव के लिए अपूरणीय स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है। इस संदर्भ में, उन मुद्दों को हल करने के लिए पर्यावरण की दृष्टि से सौम्य प्रक्रिया का विकास सर्वोपरि महत्व का है।
सी-मेट ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी-पीपीपी मॉडल के अंतर्गत देश में अपनी तरह का पहला ई-कचरा प्रबंधन पर उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किया है। ई-अपशिष्ट प्रबंधन पर ई-कचरा प्रबंधन पर उत्कृष्टता केंद्र ने ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण तकनीकों की सभी किस्में जैसे उपयोग की गई पीसीबी, लीथियम आयन बैटरी, स्थायी चुंबक और सी-सौर सेल आदि विकसित की हैं। ई-कचरा प्रबंधन पर उत्कृष्टता केंद्र द्वारा विकसित पीसीबी पुनर्चक्रण तकनीक प्रौद्योगिकी तैयारी स्तर 6 चरण पर है और अब व्यावसायीकरण के लिए तैयार है। सी-मेट ने न केवल पुनर्चक्रण तकनीकों का विकास किया है बल्कि इसके लिए आवश्यक प्रसंस्करण उपकरण भी डिजाइन और निर्मित किए हैं।
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