न्यूज़ डेस्क : शिवराज कैबिनेट के विस्तार पर लग रही अटकलों पर विराम लग गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने शिवराज कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल के इस तीसरे विस्तार में तुलसीराम सिलावट एवं गोविन्द सिंह राजपूत को फिर से मंत्री बनाया गया। ये दोनों चौहान के मंत्रिमंडल में पहले भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
इन दोनों को पिछले साल 21 अप्रैल को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, लेकिन तब वे विधायक नहीं थे। इसके चलते उन्हें पिछले साल तीन नवंबर में हुए 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव से ठीक पहले संवैधानिक बाध्यता के कारण मंत्री के तौर पर छह माह पूरे होने से एक दिन पहले इस्तीफा देना पड़ा था।
पिछले साल तीन नवंबर को हुए उपचुनाव में अपनी-अपनी सीट जीतकर अब ये दोनों विधायक बन गए हैं और इसलिए इन्हें फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज ने ट्वीट करते हुए लिखा कि साथी तुलसी सिलावट जी को मंत्री पद की शपथ लेने पर बधाई। अब एक नई ऊर्जा के साथ हम साथ मिलकर मध्य प्रदेश की प्रगति एवं विकास के लिए कार्य करेंगे। मुझे विश्वास है कि सशक्त और समर्थ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण का सपना तेजी से साकार होगा।
गोविंद सिंह राजपूत
गोविंद सिंह राजपूत का जन्म एक जुलाई, 1961 को सागर में हुआ था। गोविंद सिंह राजपूत मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। राजपूत साल 2002 में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव बनाए गए थे। साल 2003 में 12वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
25 दिसंबर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। गोविंद सिंह को परिवहन मंत्री बनाया गया था। गोविंद सिंह राजपूत को ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है। सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा का हाथ थामने के बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने का एलान कर दिया था।
तुलसी सिलावट
तुलसी सिलावट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट के नेता माने जाते हैं। कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में तुलसी सिलावट को लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बने थे। तुलसी सिलावट किसान परिवार में जन्मे और राजनीति की सीख उन्होंने छात्र राजनीति से ली।
तुलसी सिलावट का जन्म पांच नवंबर 1954 को इंदौर के पास ही ग्राम पिवडाय में हुआ था। तुलसी ने राजनीति शास्त्र में एमए किया है और छात्र जीवन से ही उन्हें राजनीति में रुचि थी। तुलसी सिलावट देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 1979-81 में छात्र संघ रहे। पहली बार 1982 में तुलसी इंदौर नगर निगम में पार्षद बने और इसके बाद 1985 में विधायक बन गए।
कांग्रेस पार्टी ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष बनाया। दिसंबर 2007 के उपचुनाव के बाद 2008 में तीसरी बार वे विधायक चुने गए। 2018 में विधानसभा चुनाव जीतकर सिलावट चौथी बार विधायक बने।
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