परालंपिक कांस्य पदक विजेता ऊंची कूद खिलाड़ी श्री शरद कुमार ने आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया को श्रद्धांजलि अर्पित की। कैप्टन सलारिया को पहली गोरखा राइफल्स की तीसरी बटालियन रेजिमेंट में कमीशन किया गया था, जो 1961 के कांगो संकट के दौरान संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की सहायता के लिए 3000 भारतीय सैनिकों का हिस्सा थे।
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री शरद कुमार ने दार्जिलिंग में अपने स्कूल के दिनों को याद किया, जहां वे गोरखा रेजिमेंट की बहादुरी की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए थे। उन्होंने कहा, “इस रेजिमेंट के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि ब्रिटिश भारत सेना के दौरान लगभग 10 गोरखा रेजिमेंट सेवा में शामिल थे। जिनमें से छह को मौजूदा भारतीय सेना में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन बाकी अभी भी ब्रिटेन सरकार के तहत ब्रिटिश सेना के पास हैं।”
ओलंपिक पदक विजेता ने कहा, “वे इतने वफादार होने के लिए जाने जाते हैं कि अब भी वे इंग्लैंड की महारानी की सुरक्षा में तैनात हैं। वफादारी एक ऐसी चीज है, जिस पर गोरखा रेजिमेंट हमेशा विश्वास करती है।”
उन्होंने स्मारक में नेक्स्ट-ऑफ-किन समारोह को भी देखा, जो सूर्यास्त से पहले रिट्रीट समारोह से पहले हर शाम शहीद के परिजनों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करने की एक रस्म है। इस समारोह में 32 सेकंड के बगुल कॉल के साथ झंडे को उतारा जाता है।
उन्होंने स्मारक की परिक्रमा की और भारतीय सशस्त्र बलों के युद्धों के विवरण और संचालन को दर्शाते भित्ति चित्र देखे।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर है। इसमें भारतीय सशस्त्र बलों की विभिन्न पैदल सेना रेजिमेंट के उन सभी भारतीय सैनिकों के नाम हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत की विभिन्न लड़ाइयों, युद्धों, अभियानों और संघर्षों में अपनी जान गंवाई है।
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