असम, झारखंड और केरल के पीएमएवाई (यू) लाभार्थियों के साथ वर्चुअल माध्यम से बातचीत का आयोजन किया गया
पक्का मकान मिलने के बाद लाभार्थियों ने अपनी जिंदगी बदलने वाली कहानियां साझा कीं
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के एक लाभार्थी ने आवासन और शहरी कार्य के मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव श्री मनोज जोशी से वर्चुअल माध्यम से बातचीत की। लाभार्थी ने कहा, “हमारे जीवन में काफी बदलाव आया है, और अब हमारा समाज में एक सम्मानजनक स्थान बन गया है।” यह बातचीत ‘लाभार्थियों से रूबरू‘ की पहल के अंतर्गत आज नई दिल्ली में आयोजित की गई। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)-पीएमएवाई-यू के संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक श्री कुलदीप नारायण ने भी सत्र में भाग लिया। यह कार्यक्रम लाभार्थियों के साथ सीधे बातचीत करके मिशन के अंतर्गत परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिए शुरू किया गया है।
आज के सत्र में, सचिव, एमओएचयूए ने असम, झारखंड और केरल के पीएमएवाई (यू) लाभार्थियों के साथ बातचीत की ताकि मिशन के अंतर्गत अपना खुद का पक्का मकान मिलने के बाद उनके जीवन बदलने वाले अनुभवों, सशक्तिकरण की कहानियों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके। वर्चुअल माध्यम से उनके घरों का अवलोकन भी किया गया। असम से श्रीमती कुंती सिंह और श्रीमती मिलन मंडल इस ऑनलाइन बातचीत का हिस्सा बनी थीं। झारखंड से, श्रीमती मनीषा कच्छप और श्रीमती ममनी पाल सत्र में शामिल हुईं, जबकि केरल से, श्रीमती राधनमणि और श्रीमती सुमा आर. वर्चुअल माध्यम से आयोजित ‘लाभार्थियों से रूबरू’ बातचीत कार्यक्रम का हिस्सा थीं।
एमओएचयूए के सचिव ने लाभार्थियों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और उनसे उनकी यात्रा, उनके परिवार के सदस्यों के बारे में पूछा कि उनका अपना घर पाने के बाद वे कैसा महसूस करते हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या उन्हें घर का निर्माण करते समय धन के संबंध में किसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ा था।
लाभार्थियों ने एमओएचयूए के सचिव को बताया कि उनका खुद का घर होना एक सपने के सच होने जैसा है और अगर यह योजना नहीं होती तो वे अपने लिए घर नहीं बना पाते।
असम के ढेकियाजुली की श्रीमती कुंती सिंह ने कहा, “मेरा अपना घर बनाने का सपना, सपना ही रह जाता अगर पीएमएवाई (यू) स्कीम नहीं होती।” श्रीमती कुंती सिंह एक टेलरिंग स्कूल चलाती है, जिसमें वह 75 छात्राओं को पढ़ाती है।
इस बीच, झारखंड के बुंडू की सुश्री ममनी पाल ने कहा कि घर ने उन्हें सशक्त बनाया है और उन्हें समाज में सम्मान और आराम का जीवन दिया है। सुश्री ममनी पाल ने एमओएचयूए के सचिव से कहा, “समाज में हमारा मान सम्मान बढ़ गया है।”
झारखंड के रांची की एक लाभार्थी श्रीमती मनीषा कच्छप ने कहा, “मैं अपने बच्चों के लिए एक घर बनाने में सक्षम होने के लिए भाग्यशाली महसूस करती हूं। अब वे शांति से पढ़ सकते हैं।” उन्होंने गर्व से यह भी बताया कि सही मायने में, वह घर की मालकिन हैं घर में वह सारे फैसले लेती है और उनके पति भी हर काम में साथ देते हैं।
केरल के लाभार्थियों के साथ बातचीत शुरू करते हुए, एमओएचयूए के सचिव ने उनकी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत शुरू की, जिससे उन्हें संवाद में आसानी हुई। कोल्लम की श्रीमती राधामणि ने श्री जोशी से अपने परिवार के बारे में बात की। इस दौरान उनके परिवार के लोग भी बातचीत में शामिल हुए। श्रीमती राधामणि ने अपनी भाषा में समझाया, “ई वेतिल नजंगलुदे कुदुम्बम ओरुमिच कझियुननु (मेरा पूरा परिवार इस घर में एक साथ रहता है)।”
इस बीच, केरल के अलाप्पुझा की रहने वाली श्रीमती सुमा ने बताया कि कैसे उन्होंने वर्षों से अपना घर बनाने का सपना देखा था। उन्होंने कहा, “पीएमएवाई(यू) पदधियुडे करनाम, ओरु मुरी वेटिल कझिनजिरुन्ना नजंगल, स्वपनथुलमय भवनम निर्मिक्कन काझिंजू (हम पहले एक कमरे के सेट में रहते थे। अब, पीएमएवाई (यू) योजना के कारण, हम अपने सपनों का घर बनाने में सक्षम हुए हैं)।”
आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में ‘लाभार्थियों से रूबरू’ कार्यक्रम की योजना बनाई गई है। सितंबर 2021 में मंत्रालय द्वारा पहल शुरू की गई थी। यह विभिन्न राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लाभार्थियों के साथ मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम का 22 वां संस्करण था।
पहल का संक्षिप्त उद्देश्य परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी करना, लाभार्थियों के साथ सीधे बातचीत करके सक्षम प्रशासन और पारदर्शिता लाने, घरों के निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए एमओएचयूए और संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के लिए अपने-अपने शहरों में एक मंच की सुविधा तैयार करना और सबसे महत्वपूर्ण बात, लाभार्थियों के बीच समावेश की भावना पैदा करना है।
घर का मालिकाना हक किसी भी व्यक्ति की सामाजिक और आर्थिक भलाई और गरिमा का प्राथमिक संकेतक है। इस तथ्य को स्वीकार करते हुए, मिशन घर के स्वामित्व को सुनिश्चित करके महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन दे रहा है। पीएमएवाई(यू) के अंतर्गत हर घर की सुरक्षा, संरक्षा सुनिश्चित की जाती है, साथ ही शौचालय, बिजली, रसोई और पानी के कनेक्शन जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाओं की पहुंच भी सुनिश्चित की जाती है।
पीएमएवाई(यू) योजना अपने कार्यान्वयन के सातवें वर्ष में है। मंत्रालय ने अब तक 112 लाख आवासों की संभावित मांग के मुकाबले 114.04 लाख आवास स्वीकृत किए हैं; जिनमें से 93.25 लाख घरों का निर्माण कार्य जारी है और 54.78 लाख से अधिक मकानों को पूरा कर लिया गया है और लाभार्थियों को वितरित कर दिए गए हैं।
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