मनरेगा जैसी स्कीम शहरी क्षेत्रों के मजदूरों के लिए शुरू हो : भारतीय मजदूर संघ

न्यूज़ डेस्क : आम बजट को लेकर तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 को लेकर बैठकों का दौर भी शुरू कर दिया है। उन्होंने अर्थशास्त्रियों, शीर्ष उद्योगपतियों और किसानों एवं श्रमिक और व्यापारिक संगठनों से बजट को लेकर सुझाव भी मांगे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ समर्थित संगठन (मजदूर इकाई) भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से बजट में मनरेगा जैसी स्कीम शहरी क्षेत्रों के मजदूरों के लिए शुरू करने करने का सुझाव दिया है।

 

 

भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बी सुरेंद्रन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिख करके बजट 2021 पर अपने सुझाव देते हुए कहा है कि कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा की स्कीम की सबसे ज्यादा जरूरत है। गरीबी को रोकने के लिए इसे दो सौ दिन प्रति परिवार किया जाना चाहिए। गांव व दूरस्थ इलाकों से मजदूर शहर की तरफ आ रहे हैं। इसलिए शहरी क्षेत्रों में भी मनरेगा जैसी स्कीम की तर्ज पर मजदूरों को काम मिलना चाहिए।

 

 

मजदूर संघ ने आगे मांग की है कि ईपीएस के तहत वर्तमान में एक हजार की पेंशन दी जाति है। जो बेहद कम है। इसे पांच हजार रुपये किया जाए। वहीं हर वर्ष पांच फीसदी की वृद्धि भी हो। ईएसआई की सुविधा का दायरा फैलाया जाना चाहिए। जिससे मजदर वर्ग को भी इसका लाभ मिल सके। आज कई सेक्टर जैसे ऑटोमाबाइल, ट्रांसपोर्ट, खेल खूद, हैंडलूम, पर्यटन में पहले की तरह काम नहीं हो रहा है। हमारी मांग है कि सरकार इन क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता या विशेष सुविधा प्रदान करे। ताकि इन सेक्टरों में काम करने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

 

 

मजदूर संघ ने केंद्रीय वित्तमंत्री को दिए सुझाव में कहा कि निर्माण और औद्योगिक क्षेत्र में स्वदेशी नीतियां अपनाई जाएं। जिससे इनमें काम करने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार हो सके। आज के समय में ज्यादातर नौकरियां अस्थायी हैं। हमारी मांग है कि ग्रेच्युटी की सीमा पांच साल से घटकर एक वर्ष हो। आयुष्यमान भारत योजना, श्रम योगी मानधन योजना जैसी समाज कल्याणीकारी योजनाएं के लिए कानून बनाया जाए। ताकि उनका लाभ स्थाई तौर पर सभी वर्ग के लोगों को मिल सके। कई राज्य सरकारें निर्माण श्रमिक कल्याण निधि का पैसा दूसरी गतिविधियों में लगा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इसे रोकने के लिए तुरंत एडवाइजरी जारी की जाए।

 

 

आंगनवाड़ी आशा वर्करों के मासिक अनुदान में वृद्धि करने पर हम सरकार को धन्यवाद देते हैं।  लेकिन कुछ राज्यों ने इस वृद्धि को लागू नहीं किया है। केंद्र सरकार राज्यों को निर्देश देकर तुरंत इसे लागू करवाए। वही मिड-डे मील में काम करने वाले मजदूरों का मासिक अनुदान 12 सौ बढ़ाकर छह हजार किया जाना चाहिए।

 

 

बीएमएस ने मांग कि बीडी उद्योग को तंबाबू उद्योग से अलग किया जाए। इस पर ट्रैक्स की दरें भी कम की जाएं। एयर इंडिया में 20 वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे 15 सौ संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए। पांच साल से ज्यादा एक ही संस्था में काम कर रहे कर्मचारियों की कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

 

 

भारतीय मजदूर संघ ने मांग कि केंद्र सरकार केंद्रीय व्यापार संघ से एफडीआई और रेलवे का निजीकरण समेत अन्य विषयों पर विचार विमर्श कर निर्णय ले। सरकारी पीसएसयू के निजीकरण के तरीके भारतीय मजदूर संघ सहमत नहीं हैं। संघ की मांग है कि इस पर दोबारा से विचार किया जाए। पीसएसयू को मैनेज करने के लिए नई सेवा का गठन किया जाए ताकि ये ठीक तरीके से कार्य कर सकें। नई पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन को लागू किया जाए। वहीं इनकम ट्रैक्स में छूट की सीमा 10 लाख रुपये तक बढ़ा दी जाए। साथ ही केंद्रीय व्यापार संघ को इनकम ट्रैक्स में छूट प्रदान की जाए।

 

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