औरंगाबाद। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को सवालों के घेरे में लेते हुए कहा कि इस मामले में कानून बनाने का कोर्ट को कोई अधिकार नहीं। बोर्ड के सदस्य, मौलाना अता उर रहमान रश्दी ने कहा, कानून के दायरे में रहकर निर्णय लेना सुप्रीम कोर्ट का काम है न कि कानून बनाना।
मौलाना ने आगे कहा, ‘कोर्ट की यह भूमिका मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है जिसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। शरियत कानूनों में सरकार व शीर्ष अदालत की दखलंदाजी गलत है।‘ जबकि मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) बिल, 2017 में तीन तलाक को अपराध करार दिया गया है।
यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया है जिसमें कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां कुछ आपत्तियों के साथ अपना समर्थन दे रही हैं। इस विधेयक के लागू होने के बाद तीन तलाक को अपराध करार कर दिया जाएगा। इसके तहत किसी भी इलेक्ट्रॉनिक तरीके जैसे व्हाट्सएप, एसएमएस, इमेल के अलावा मौखिक या लिखित रूप से तीन तलाक दिए जाने पर मुस्लिम पुरुष को तीन साल की कैद की सजा होगी।
News Source :- www.jagran.com
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