सऊदी अरब ने भारतीय निजी हज कोटा में की 80% कटौती; उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जताई चिंता
सऊदी अरब ने हज 2025 के लिए भारत को आवंटित हज कोटे में निजी हज समूह आयोजकों (Private Tour Operators) के हिस्से को लेकर बड़ा बदलाव किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के निजी हज कोटे में लगभग 80% की कटौती की गई है। इस निर्णय से जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश में तीर्थयात्रियों में चिंता का माहौल है। खास तौर पर जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेताओं उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है।
क्या है हज कोटा में कटौती का मामला?
हर साल सऊदी अरब भारत समेत दुनियाभर के मुस्लिम देशों को हज तीर्थयात्रा के लिए कोटा देता है। भारत को हज 2025 के लिए कुल 1,75,025 तीर्थयात्रियों का कोटा मिला है। सामान्य रूप से इसमें से 70% कोटा हज समिति ऑफ इंडिया के माध्यम से और 30% निजी हज समूह आयोजकों (HGOs) को आवंटित किया जाता है।
हालांकि, हाल की रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी सरकार ने निजी आयोजकों को मिलने वाले कोटे में भारी कटौती कर दी है, जिससे अब केवल 20% ही निजी हज यात्रियों के लिए बचा है। इससे हजारों यात्रियों की योजना पर असर पड़ सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: उमर और महबूबा की चिंता
इस मामले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह फैसला केंद्र सरकार को सऊदी अरब के साथ उठाना चाहिए, क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर के हज़ यात्रियों को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि घाटी के अधिकांश यात्री निजी टूर ऑपरेटर्स के जरिए हज पर जाते हैं और यह कटौती उनके लिए मुश्किलें पैदा करेगी।
महबूबा मुफ्ती ने भी चिंता जताते हुए कहा कि इस फैसले से हज़ करने का सपना देखने वाले गरीब और मिडिल क्लास मुसलमानों को सबसे ज्यादा चोट पहुंचेगी। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और सऊदी अरब से बातचीत कर इस कटौती को वापस लेने की कोशिश करे।
सरकारी रुख और संभावनाएं
भारत सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि विदेश मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय इस विषय को गंभीरता से लेगा और सऊदी अधिकारियों से बातचीत कर समाधान निकालेगा।
हज एक धार्मिक कर्तव्य है और भारत में हर साल लाखों लोग इसकी प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे में इस तरह की कटौती केवल धार्मिक ही नहीं, सामाजिक और भावनात्मक असर भी छोड़ सकती है।
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