न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस महामारी के फैलने के बाद बहुत कुछ बदल गया है, यहां तक कि भगवान के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के तरीके में भी बदलाव आ गया है। गुजरात के मंदिरों में दर्शन के लिए आने वालों श्रद्धालुओं को ‘साष्टांग प्रणाम’ की अनुमति नहीं है। श्रद्धालु हाथ जोड़कर केवल ‘नमस्ते’ कर सकते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा राज्य सरकार की मानक संचालन प्रक्रिया के तहत मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रसाद लाने की भी इजाजत नहीं दी जा रही है। राज्य में लॉकडाउन लागू होने के 75 दिन बाद जून में मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों को फिर से खोल दिया गया था।
भक्तों को किसी भी चीज को छूने की इजाजत नहीं
प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के प्रबंधक विजय सिंह चावड़ा ने कहा कि सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार साष्टांग प्रणाम की अनुमति नहीं है। मानक संचालन प्रक्रिया के तहत भक्तों को किसी भी चीज को छूने की इजाजत नहीं है। लोगों को केवल दर्शन के लिए मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति है।
चावड़ा ने कहा कि किसी भी भक्त को दिन में तीन बार होने वाली आरती के लिए मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है और न ही एक बार में पांच से अधिक भक्तों को बैठकर पूजा करने की अनुमति है। यज्ञ के दौरान तीन से अधिक लोगों को मौजूद रहने की भी इजाजत नहीं है।
बनासकांठा जिले में स्थित गुजरात के एक और प्रसिद्ध मंदिर अंबाजी माता मंदिर में भी सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार साष्टांग प्रणाम की अनुमति नहीं है। मंदिर के प्रवक्ता आशीष रावल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भक्तों को थर्मल स्क्रीनिंग के बाद भौतिक दूरी का पालन करते हुए अनिवार्य रूप से मास्क लगाकर ही मंदिर से प्रवेश की अनुमति है।
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