नई दिल्ली : 7वां वेतन आयोग, त्रिपुरा सरकार ने दशहरे से पहले अपने दो लाख कर्मचारियों को जबरदस्त तोहफा दिया है. राज्य सरकार ने 1 अक्टूबर 2018 से इन कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग देने का ऐलान किया है. सरकार का दावा है कि राज्य कर्मचारियों के वेतन में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी के बराबर बढ़ोतरी की गई है.
इससे इन कर्मचारियों की खुशी दोहरी हो गई है. क्योंकि जिन राज्यों में नया वेतनमान लागू हुआ है वहां के कर्मचारियों की शिकायत है कि राज्य और केंद्र में एक ही स्तर पर काम कर रहे अफसर की तनख्वाह में करीब 5 हजार रुपए का अंतर है.
पूर्व मुख्य सचिव की सिफारिश पर लागू हुआ नया वेतनमान
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिपलव देव ने बताया कि संशोधित वेतनमान असम के पूर्व मुख्य सचिव पीपी वर्मा की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू हुआ है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक समिति ने बीते हफ्ते अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी.
इसके बाद इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. देव ने कहा कि ढाई दशक तक राज्य पर वाम सरकार का शासन रहा. इसमें राज्य की हालत काफी खस्ता हो गई है लेकिन बीजेपी ने चुनाव से पहले कर्मचारियों को नया वेतनमान देने का वादा किया था और उस वादे को अब निभाया है.
पेंशनरों की न्यूनतम पेंशन 8000 रुपए प्रति माह की
नए वेतनमान के मुताबिक राज्य में एंट्री लेवल के कर्मचारी की सैलरी 18000 रुपए हो गई है. यह सैलरी ग्रुप सी लेवल के कर्मचारी की है जबकि ग्रुप डी के कर्मी की सैलरी 16000 रुपए कर दी गई है. जिन कर्मचारियों की तनख्वाह फिक्स्ड है उन्हें नियमित कर्मचारियों के आधार पर लाभ मिलेगा. वहीं पेंशनरों की न्यूनतम पेंशन 8000 रुपए प्रति माह कर दी गई है, जो अधिकतम 1,07,450 प्रति माह होगी.
क्या है केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी
7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों को पे बैंड या पे स्केल की बजाय पे मेट्रिक्स के आधार पर सैलरी मिलती है. पे मेट्रिक्स में लेवल पर न्यूनतम पे 18 हजार रुपए है. वहीं लेवल 18 पर यह ढाई लाख रुपए है. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारी पे मेट्रिक्स लेवल के आधार पर सैलरी पा रहे हैं. बेस फिटमेंट फैक्टरी 2.57 गुणा है. आगे के लेवल पर यह बढ़ता जाता है.
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