रूस ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस साल के विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिए आधिकारिक रूप से आमंत्रित किया है। 9 मई को रूस में होने वाली इस परेड को लेकर भारत और रूस के बीच रणनीतिक रिश्तों को और प्रगाढ़ करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह आमंत्रण विशेष रूप से भारत और रूस के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाता है, जो कई दशकों से मजबूत और स्थिर रहे हैं।
रूस का विजय दिवस और इसकी महत्वता
9 मई को रूस में हर साल ‘विजय दिवस’ मनाया जाता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ की विजय की याद में होता है। इस दिन रूस के अलावा कई अन्य पूर्व सोवियत गणराज्य भी समारोह आयोजित करते हैं। इस दिन विशेष परेड आयोजित की जाती है, जिसमें रूस की सैन्य शक्ति और गौरव का प्रदर्शन किया जाता है। यह परेड दुनिया के सबसे बड़े सैन्य आयोजनों में से एक मानी जाती है और रूस के राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है।
पीएम मोदी को आमंत्रण
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस वर्ष के विजय दिवस परेड के लिए व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया। यह आमंत्रण भारत और रूस के बीच मजबूत रणनीतिक और रक्षा संबंधों की ओर इशारा करता है। पीएम मोदी ने हमेशा रूस के साथ भारत के पुराने और भरोसेमंद रिश्तों को प्राथमिकता दी है, और यह आमंत्रण उन रिश्तों को और मजबूत करने का एक बड़ा अवसर है।
भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक और सैन्य सहयोग का लंबा इतिहास रहा है, और इस आमंत्रण से यह और भी स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के नेता अपने रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रधानमंत्री मोदी का रूस के विजय दिवस परेड में शामिल होना न केवल एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत रूस के साथ अपनी मित्रता और सहयोग को और भी प्रगाढ़ करना चाहता है।
भारत-रूस के रिश्ते
भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों का इतिहास काफी पुराना है, जो कई दशकों से चला आ रहा है। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मजबूत सहयोग है। रूस ने हमेशा भारत के साथ अपने रिश्तों को प्राथमिकता दी है, और खासकर सैन्य और सुरक्षा मामलों में दोनों देशों के बीच गहरे और रणनीतिक संबंध रहे हैं।
विजय दिवस परेड में पीएम मोदी का आमंत्रण इस बात को भी दर्शाता है कि दोनों देशों के रिश्तों में समय-समय पर नयापन और सहयोग की संभावनाएं पैदा होती रहती हैं। भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा इस आमंत्रण को स्वीकार करना दोनों देशों के बीच आने वाले समय में और अधिक सहयोग की उम्मीद को बढ़ावा दे सकता है।
कूटनीतिक दृष्टिकोण
यह आमंत्रण भारत की कूटनीतिक सफलता को भी उजागर करता है, क्योंकि यह न केवल रूस के साथ भारत के रिश्तों को मजबूत करेगा, बल्कि यह पूरी दुनिया को यह संदेश भी देगा कि भारत वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 9 मई को होने वाली परेड में प्रधानमंत्री मोदी का भाग लेना भारत और रूस के बीच रिश्तों को और अधिक मज़बूत करेगा, और दोनों देशों के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों के लिए रास्ते खोलेगा।
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