रूस ने अभी तक के सबसे बड़े परमाणु परीक्षण का वीडियो किया जारी, हीरोशिमा से 3,333 गुना ताकतवर था ‘इवान’
हीरोशिमा में छोड़े गए अमेरिकी एटम बम से भी 3,333 गुना ताकतवर था ‘इवान’
2.13 लाख फुट की ऊंचाई तक गया था मशरूम के आकार का गुबार
100 मील की दूरी पर स्थित एक विमान ने बनाया था इसका वीडियो
न्यूज़ डेस्क : रूस ने दुनिया के सबसे बड़े परमाणु परीक्षण का 59 साल पुराना वीडियो जारी किया है। 30 अक्तूबर 1961 को किए इस परीक्षण में एटम बम की ताकत अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर किए गए परमाणु धमाके से भी 3,333 गुना ज्यादा रही। शीतयुद्ध के वक्त सोवियत संघ द्वारा टेस्ट किए गए ‘इवान’ नामक इस परमाणु बम की ताकत दुनिया में अब तक हुए सभी एटमी धमाकों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली है।
करीब 50 मेगाटन के इस खतरनाक एटम बम का परीक्षण रूसी आर्कटिक (बैरंट) सागर में किया गया था जो पांच करोड़ टन परंपरागत धमाकों के बराबर ताकत से फटा था। इस परमाणु बम को रूसी विमान ने आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्या के ऊपर बर्फ में गिराया था। इस परमाणु बम के बारे में पश्चिमी दुनिया को पता चला तो इसका नाम ‘त्सार बांबा’ कर दिया गया। 20 अगस्त को रूस के रोस्तम स्टेट अटॉमिक एनर्जी कॉर्पोरेशन ने अपने यूट्यूब चैनल पर 30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री जारी की है।
विस्फोट स्थल से 100 मील की दूरी पर स्थित एक विमान ने मशरूम के आकार के गुबार का वीडियो बनाया, जो करीब 2,13,000 फुट की ऊंचाई तक गया था। इस धमाके के बाद अमेरिका-रूस ने वर्ष 1963 में एक संधि की और दोनों देशों ने हवा में परमाणु बम के परीक्षणों पर रोक लगा दी। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने अपने परीक्षण के जरिए शानदार तकनीकी उपलब्धि हासिल की।
वीडियोग्राफर अंधा न हो, इसका रखा ख्याल
इस परमाणु बम का खौफ इतना ज्यादा था कि कैमरों को सैकड़ों मील की दूरी पर लगाया गया था। साथ ही उन्हें लो लाइट पोजिशन में रखा गया, ताकि शूट कर रहा शख्स परमाणु धमाकों की चमक में आंखों की रोशनी न गंवा बैठे। इन शक्तिशाली कैमरों ने करीब 40 सेकंड तक आग के गोले का वीडियो बनाया और उसके बाद यह मशरूम के बादल के रूप में बदल गया।
अमेरिका की टक्कर में सिर्फ 7 वर्ष में बनाया
ये बम रूस ने अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध के सबसे बुरे दौर में बनाया था। सोवियत संघ ने अमेरिका के थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस को टक्कर देने के लिए मात्र सात साल में ‘इवान’ जैसा बड़ा एटम बम बनाया था। 1954 में अमेरिका ने अपने सबसे बड़े थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का मार्शल आईलैंड पर परीक्षण किया था। यह 15 मेगाटन का था और इसका नाम कास्टल ब्रावो था।
इस तरह हुआ था परीक्षण
परमाणु बम को ट्रेन के जरिए ओलेन्या एयरबेस ले जाया गया जहां से उसे लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम टीयू-95 (बम वर्षक विमान) पर लादा गया। 30 अक्तूबर को इस बॉम्बर ने उड़ान भरी और करीब 600 मील दूर सेवेर्नी द्वीप पहुंचा। विमान ने जमीन से 13 हजार फुट ऊंचाई पर पहुंचकर बम को पैराशूट से गिराया, ताकि यह धीरे-धीरे धरती पर गिरे और विमान को धमाके की जद से दूर जाने का वक्त मिल जाए।
दो महाशक्तियों में हो गई संधि
इस विस्फोट से रिक्टर पैमाने पर 5 की तीव्रता का भूकंप आता है और इसे दुनिया भर में महसूस किया जाएगा
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