न्यू दिल्लीः। भारतीय भूवैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन के बाद ब्रह्मपुत्र नदी के तटीय मैदान में आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम पाए जाने की पुष्टि की है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार इन हानिकारक तत्वों का असर बच्चों के स्वास्थ पर सबसे अधिक पड़ रहा है। तेजपुर विश्वविद्यालय और गांधीनगर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक ब्रह्मपुत्र नदी के कछार में इन तत्वों की उपस्थिति, उनके मूल स्रोत, प्रसार और स्वास्थ संबंधी अध्ययन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रभाव
अध्ययन में सामने आया है कि इस पूरे इलाके में पेयजल के रूप में भूजल के इस्तेमाल से इसमें उपस्थित आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम का लोगों के स्वास्थ पर प्रभाव पड़ रहा है। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक वयस्कों की तुलना में तीन से आठ वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य पर इन प्रदूषणकारी तत्वों के प्रभाव ज्यादा देखने को मिले हैं।
भविष्य के लिए बड़ा खतरा
अध्ययन दल में शामिल प्रोफेसर मनीष कुमार के मुताबिक, इस अध्ययन से प्राप्त तथ्य स्पष्ट तौर पर ब्रह्मपुत्र नदी के कछार के भूजल एवं अवसाद में आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम की उपस्थिति दर्शाते हैं, जो भविष्य में एक प्रमुख खतरा बनकर उभर सकता है। यदि इस स्थिति में सुधार के लिए कदम नहीं उठाए गए तो इस मैदान में संदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ के निर्धारित मानक को भी पार कर सकता है।
यह मिली मात्रा
ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ग्रस्त मैदानों में किए गए इस अध्ययन के दौरान प्रति लीटर भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 22.1 माइक्रोग्राम एवं फ्लोराइड का स्तर 1.31 मिलीग्राम तक दर्ज किया गया है। हांलाकि यूरेनियम नगण्य मात्रा में पाया गया है। ब्रह्मपुत्र नदी में आर्सेनिक व फ्लोराइड का खतरा
ये हैं स्रोत
भूजल में आर्सेनिक के मूल स्रोत फेरीहाइड्राइट, गोइथाइट और साइडेराइट हैं। वहीं, फ्लोराइड का मूल स्रोत एपेटाइट और यूरेनियम का मूल स्रोत फेरीहाइड्राइट पाया गया है। यहां से एकत्र किए गए नमूने दो साल तक किए गए अध्ययन के दौरान ब्रह्मपुत्र कछार के ऊपरी, मध्यम और निचले क्षेत्रों में भूजल एवं तलछट के नमूने एकत्रित किए गए थे। इन नमूनों में मिट्टी के पीएच मान, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, बाइकार्बोनेट, सल्फेट एवं फॉस्फेट जैसे तत्वों की सांद्रता का आकलन किया गया है।
अध्ययन में आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम जैसे तत्वों की उपस्थिति एवं रासायनिक संबंधों की पड़ताल भी की गई है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि मिट्टी के कटाव एवं विघटन की प्राकृतिक घटनाओं के साथ-साथ कृषि में उर्वरकों एवं ब्लीचिंग पाउडर के अत्यधिक प्रयोग जैसी मानव-जनित गतिविधियों के कारण भी भूजल
में आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम का स्तर निरंतर बढ़ रहा है।
News Source :- www.jagran.com
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