नई दिल्ली। राज्य द्वारा घरेलू धान का खरीद मूल्य बढ़ाने की वजह से भारत में चावल निर्यात के दाम तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। हालांकि वियतनामी बाजार के संबंध में चीन के कठोर नियमों को लेकर चिंता पैदा हो गई है। इस सप्ताह शीर्ष निर्यातक भारत के पांच प्रतिशत टूटे उसने किस्म के चावल का भाव प्रति टन 375-382 डॉलर बोला गया जो 7 सितंबर के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। प्रमुख चावल उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ ने धान का न्यूनतम खरीद मूल्य बढ़ाकर 2,500 रुपए प्रति 100 किलोग्राम कर दिया है जो इस सप्ताह के शुरू में 1,750 रुपए था।
चावल कारोबारियों का कहना है कि आयातक अधिक दाम देने को तैयार नहीं हैं। आने वाले महीनों में निर्यात धीमा होने के आसार हैं। व्यापारियों ने कहा कि कारोबार सुस्त रहने की वजह से वियतनाम का पांच प्रतिशत टूटा चावल लगातार पांचवें सप्ताह गिरकर 385 डॉलर प्रति टन हो गया। वहीं हो ची मिन्ह के व्यापारियों का कहना है कि दामों में और गिरावट इसलिए आई क्योंकि हम इस बात को लेकर आशंकित हैं कि चीन द्वारा वियतनाम के चावल पर कड़ी शर्तें लगाने के कदम का दीर्घकालिक असर पड़ेगा।
यह स्पष्ट नहीं है कि चीन वियतनाम की संभावित खेपों में कमी की भरपाई करने के लिए कंबोडिया और म्यांमार से ज्यादा खरीद कर रहा है या नहीं। थाइलैंड में बेंचमार्क पांच प्रतिशत टूटे चावल के दाम 390-391 डॉलर प्रति टन बोले गए हैं जबकि एक हफ्ते पहले दाम 385-393 डॉलर थे। घरेलू व्यापारियों का कहना है कि विदेशी गतिविधि बहुत ज्यादा नहीं है और कटाई का सीजन भी है। उधर बाढ़ के बाद स्टॉक में कमी की वजह से 2017 में चावल के बड़े आयातक के रूप में उभरने वाले बांग्लादेश ने इस प्रमुख अनाज का उत्पादन बढऩे के बाद स्थानीय रूप से चावल खरीद में इजाफा करने की कोशिश तेज कर दी है। खाद्य मंत्रालय का कहना है कि किसानों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी है और खरीद अभियान जारी रखा जाएगा।
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