जेट एयरवेज का रिवाइवल योजना मंजूर, पर क्या वापिस उड़ना संभव हो पायेगा

न्यूज़ डेस्क : जेट एयरवेज को फिर से खड़ा करने के लिए नए निवेशकों की योजना को ऋणदाताओं की मंजूरी मिल गई है, लेकिन वित्तीय बोझ से बैठ चुकी निजी क्षेत्र की इस एयरलाइन को दोबारा उड़ाना आसान नहीं है। दिवाला संहिता के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कार्यवाही में जेट एयरवेज को ऋण देने वाले बैंकों/वित्तीय संस्थानों की समिति ने रिवाइवल योजना को मंजूरी दे दी है। ये रिवाइवल प्लान लंदन के कलरॉक कैपिटल और यूएई के निवेशक मुरारी लाल जालान ने दिया था।

 

 

परिचालन बहाल करने का रास्ता कठिन

हालांकि विमान उद्योग पर अनुसंधान एवं परामर्श सेवाएं देने वाली कंपनी सीएपीए इंडिया के प्रमुख कपिल कौल ने कहा कि, ‘परिचालन को बहाल करने का रास्ता कठिन और अनिश्चित है।’ उन्होंने कहा कि जेट के कर्जदारों ने जो शर्तें मंजूर की हैं, वह सीएपीए को समझ में नहीं आतीं। अभी यह योजना एनसीएलटी की मंजूरी के लिए रखी जानी है। 

 

 

पिछले साल अप्रैल से बंद हैं सेवाएं  

पूर्ण विमानन सेवाएं देने वाली जेट एयरवेज के विमानों की उड़ाने पिछले साल अप्रैल से बंद हैं। जेट के बेड़े में एक समय 120 विमान थे, जो इसके बंद होने के समय सिर्फ 16 रह गए थे। दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत पहुंची जेट एयरवेज का घाटा मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में और बढ़कर 5,535.75 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी का खर्च बढ़ने से उसका घाटा बढ़ा है। 

 

 

ईंधन के दाम बढ़ने से कंपनी का कुल खर्च बढ़ा

वहीं इससे पिछले साल कंपनी ने 23,958.37 करोड़ रुपये का कारोबार किया। एक नियामकीय सूचना में यह कहा गया है। इस दौरान ईंधन के दाम बढ़ने से कंपनी का कुल खर्च बढ़ता हुआ 28,141.61 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पिछले साल अप्रैल में परिचालन बंद करने के बाद कंपनी जून 2019 में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत चली गई। 

 

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