न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस को लेकर चीन और डब्ल्यूएचओ पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आरोप सही साबित होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, कुछ दस्तावेजों में सामने आया है कि कोरोना वायरस को लेकर चीन की ओर से साझा की जा रही जानकारियों को लेकर वह चिंतित था कि जानकारियां पर्याप्त नहीं हैं और इन्हें समय से उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने जनवरी में सार्वजनिक रूप से यह कहते हुए चीन की सराहना की थी कि उसने कोरोना वायरस से संबंधित जानकारी दुनिया को तुरंत उपलब्ध कराईं। लेकिन कुछ दस्तावेजों से यह पता चला है कि वह वायरस के खतरे का आकलन करने के लिए इस बात से चिंतित था कि चीन समय नष्ट कर रहा है और पर्याप्त जानकारियां उपलब्ध नहीं करा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ आंतरिक दस्तावेज, ईमेल और बातचीत के रिकॉर्ड में यह सामने आया है कि चीन की प्रयोगशालाओं में वायरस को पूरी तरह डिकोड किए जाने के बाद भी अधिकारियों ने वायरस की जेनेटिक मैपिंग (आनुवांशिक नक्शा) या जीनोम उपलब्ध कराने में एक सप्ताह से ज्यादा की देरी की और टेस्टिंग, इलाज व वैक्सीन के लिए जानकारी नहीं दी।
जानकारियां देने में चीन ने की देरी : इन दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन की स्वास्थ्य प्रणाली में सूचना और प्रतिस्पर्धा पर सख्त नियंत्रण को काफी हद कर जिम्मेदार ठहराया गया था। चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने वायरस विज्ञान की एक वेबसाइट पर एक चीनी लैब की ओर से इस संबंध में एक लेख प्रकाशित करने के बाद वायरस के जीनोम की जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा की थी।
कई आंतरिक बैठकों की रिकॉर्डिंग से पता चलता है कि इसके बावजूद चीन ने हत्वपूर्ण जानकारी डब्ल्यूएचओ को देने में दो सप्ताह की और देरी की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन रिकॉर्डिंग से पता चला है कि कोरोना वायरस संक्रमण के दुनियाभर में प्रसार के दौरान डब्ल्यूएचओ चीन की सरकार की सराहना करता रहा कि उसने जानकारी तुरंत उपलब्ध कराई है।
पहले ही लग रहे हैं डब्ल्यूएचओ पर आरोप
यह अहम जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी इसे लेकर संदेह के घेरे में है और उस पर कई आरोप लगे हैं। इन आरोपों के मुखिया रहे हैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनका पूरा साथ देते रहे हैं अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो। ट्रंप शुरुआत से कहते आए हैं कि कोरोना वायरस चीन की लैब से निकला है।
चीन पर ये आरोप भी लगते रहे हैं कि उसने जानबूझ कर कोरोना वायरस से संबंधित जरूरी जानकारी समय रहते दुनिया से साझा नहीं की, जिसके चलते महामारी ने इतना भीषण रूप से लिया। ट्रंप डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए उसकी फंडिंग (करीब 45 करोड़ डॉलर सालाना) पर रोक लगा चुके हैं और अमेरिका को इस संगठन से अलग भी कर चुके हैं।
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