पार्टी के भविष्य के लिए जवाबदेही महत्वपूर्ण : राहुल गाँधी , दिया इस्तीफा

न्यूज़ डेस्क : लोकसभा चुनाव 2019 में करारी हार के बाद कांग्रेस के अंदर शुरू हुआ पार्टी अध्यक्ष पद का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर पार्टी के नेता-कार्यकर्ता राहुल गांधी से लगातार गुहार लगा रहे हैं कि वह पार्टी अध्यक्ष के पद पर बने रहें, वहीं दूसरी ओर राहुल अपना इस्तीफा वापस लेने का नाम नहीं ले रहे हैं।

 

राहुल गांधी ने आज इसी को लेकर आज चार पन्नों का इस्तीफा दिया और इसे ट्विटर पर शेयर भी किया। कांग्रेस अध्यक्ष पद के इस्तीफा देने वाले राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं एक कांग्रेसजन के तौर पर पैदा हुआ, यह पार्टी हमेशा मेरे साथ रही है और यह मेरी रगो में है और हमेशा रहेगी।’ वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से संसद के बाहर जब इसे लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने हंसते हुए केवल ‘जय श्री राम’ कहा।  

राहुल का कहना है कि वह पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं और कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) जल्द से जल्द इसे लेकर चुनाव करवाए। राहुल ने कहा, ‘मैं कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हूं। मैं पहले ही इस्तीफा दे चुका हूं। सीडब्ल्यूसी को तत्काल एक बैठक करनी चाहिए और नए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव करना चाहिए।’ बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में मात्र 52 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सीडब्ल्यूसी ने राहुल के इस्तीफे को मंजूर करते हुए उन्हें अधिकार दिया था कि वह हर स्तर पर पार्टी में फेरबदल कर सकते हैं। इसके साथ ही कांग्रेस नेता लगातार उनसे अनुरोध कर रहे थे कि वह अपना इस्तीफा देने का फैसला बदल लें। 

इसी मांग को लेकर कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता कांग्रेस मुख्यालय के बाहर धरने पर भी बैठे हैं। मंगलवार को इस धरने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल भी शामिल हुए थे। इससे पहले उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने, जहां कांग्रेस की सरकार है, राहुल से मुलाकात की थी।

राहुल ने अपने इस्तीफे में कहा- 

  • बतौर अध्यक्ष 2019 में हार की जिम्मेदारी मेरी है।
  • हार की जिम्मेदारी सभी को लेनी होगी, दूसरों को जिम्मेदार ठहराकर मैं अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी करूं ये सही नहीं।
  • पार्टी को को खड़ा करने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे।
  • 2019 में सिर्फ एक पार्टी से नहीं लड़ी कांग्रेस।
  • देश का पूरा सिस्टम, हर संस्था हमारे खिलाफ थी।
  • भाजपा लोगों की आवाज को दबा रही है।
  • भाजपा के नए भारत के विचार के खिलाफ लड़ता रहूंगा।
  • असली खतरा ये है कि कहीं चुनाव औपचारिकताबनकर न रह जाए।

 

राहुल ने अपने चार पन्नों के इस्तीफे की शुरुआत में लिखा है, ‘कांग्रेस पार्टी को अपना योगदान देना मेरे लिए सम्मान की बात है, जिसके मूल्यों और आदर्शों ने जीवनदायक रक्त की तरह हमारे खूबसूरत देश की सेवा की है। मैं इस देश और पार्टी के प्रति आभारी हूं।’

उन्होंने आगे लिखा, ‘कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष रहते हुए मैं 2019 के चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेता हूं। हमारी पार्टी के भविष्य के लिए जवाबदेही महत्वपूर्ण है। इसी कारण से मैं कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देता हूं।’

राहुल ने लिखा, ‘पार्टी के पुनर्गठन के लिए कठिन फैसले लेना जरूरी है और 2019 की हार के लिए लोगों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। दूसरे लोगों को जवाबदेह ठहराना और पार्टी अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा करना गलत होगा।’ 

राहुल ने लिखा, ‘मेरे कई साथियों ने सुझाया कि मैं अगले पार्टी अध्यक्ष के नाम का सुझाव दूं। जबकि मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि कोई नया व्यक्ति पार्टी की कमान संभाले, ऐसे में मेरे लिए अध्यक्ष का चुनाव करना ठीक नहीं होगा। हमारी पार्टी का बड़ा इतिहास और विरासत है, पार्टी के संघर्ष और स्थिति का मैं बहुत सम्मान करता हूं। यह पार्टी भारतमय है और मुझे विश्वास है कि पार्टी इस बात को सही निर्णय लेगी कि कौन साहस, प्यार और निष्ठा के साथ हमारा नेतृत्व करेगा।’

 

ट्विटर से भी हटाया ‘कांग्रेस अध्यक्ष’ : लिखित इस्तीफा देने के साथ-साथ राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर भी अपने इस्तीफे की मुहर लगा दी है। राहुल ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ‘कांग्रेस अध्यक्ष’ हटा दिया है। अब इसके स्थान पर सांसद लिखा हुआ है।

 

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