नवीनीकृत समझौता ज्ञापन भारत-कनाडा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग की नई रणनीतिक दिशा को स्पष्ट करते हैं
ओटावा में हुई 7वीं भारत-कनाडा संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग समिति (जेएसटीसीसी) की बैठक में दो समझौता ज्ञापनों का नवीनीकरण किया गया, जिसमें विभिन्न नए क्षेत्रों में आगे की अवधि के लिए प्राथमिकताएं निर्धारित की गईं।
भारत और कनाडा के बीच 2005 में किए गए समझौते के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्राकृतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग रिसर्च काउंसिल ऑफ कनाडा (एनएसईआरसी) तथा नेशनल रिसर्च काउंसिल कनाडा (एनआरसी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
संयुक्त समिति की बैठक की सह-अध्यक्षता भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. श्रीवरी चंद्रशेखर और डेविड मॉरिसन, वैश्विक मामलों के कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के उप मंत्री ने की।
डॉ. चंद्रशेखर, सचिव, डीएसटी ने दोनों देशों के बीच सहयोग के मुख्य क्षेत्रों जैसे राष्ट्रीय मिशन, क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई, साइबर-फिजिकल सिस्टम आदि के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र कनाडा के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं और एमओयू के नवीनीकरण से दोनों देशों के बीच विचारों और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
कनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया और भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरन मैके ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अन्य उपस्थित लोगों में दोनों देशों के कई मंत्रालयों और अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे।
भारत और कनाडा को मजबूत द्विपक्षीय संबंधों से लाभ मिलता है और दोनों देश संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार इनके संबंधों के प्रमुख स्तंभ हैं।
बैठक से भारतीय गणराज्य की सरकार और कनाडा सरकार के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के लिए 2005 के समझौते के कार्यान्वयन के लिए नए सिरे से रणनीतिक दिशा को स्पष्ट करने का अवसर मिला।
समझौते की शर्तों के तहत संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग समिति, सैद्धांतिक रूप में, कनाडा और भारतीय के शोधकर्ताओं एवं नवोन्मेषकों के बीच चल रहे सहयोग की समीक्षा करने के लिए प्रत्येक 2 साल में बैठक करती है और कृषि, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य विज्ञान तथा संबंधित प्रौद्योगिकियां, स्वच्छ प्रौद्योगिकियां और पर्यावरण अनुसंधान, समुद्री तथा ध्रुवीय अनुसंधान, क्वांटम और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एव मानव क्षमता विकास तथा रिसर्च मॉबिलिटी जैसे विभिन्न नये क्षेत्रों में अगली अवधि के लिए प्राथमिकताएं निर्धारित करती है।
दोनों देश 2022-2024 के लिए द्विपक्षीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) सहयोग को लेकर मुख्य प्राथमिकताओं की प्रगति की निगरानी जारी रखने पर सहमत हुए।
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