इस करार का उद्देश्य उपभोक्ता सेवा प्रदान करने में सुधार लाना और उपभोक्ताओं को भरोसेमंद बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है
बिजली मंत्रालय के तहत सार्वजनिक अवसंरचना वित्त कंपनी आरईसी लिमिटेड तथा अब्दुल जीमल पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) साउथ एशिया उपभोक्ता सेवा प्रदान करने में सुधार लाने और उपभोक्ताओं को भरोसेमंद बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए देश भर में 79 सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों ( डिस्कॉम ) के वार्षिक, डाटा आधारित आकलन का निर्माण करने के लिए साझीदारी कर रही हैं।
इस साझीदारी के तहत, आरईसी और जे-पाल साउथ एशिया रुझानों का पता लगाने तथा बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में अंतरालों की पहचान करने के लिए डिस्कॉम सेवाओं पर वर्तमान डाटा का लाभ उठाने के लिए सहयोग करेंगी। इन डाटासेटों का उपयोग एक ‘ उपभोक्ता सेवा सूचकांक‘ का सृजन करने के लिए किया जाएगा जो सेवा वितरण के आयामों -आपूर्ति के घंटों, शिकायत समाधान प्रणालियों तथा बिलिंग विवरण और समय सीमा के आधार पर कंपनियों की रैंकिंग करेंगे।
आरईसी और जे-पाल साउथ एशिया डिस्कॉम के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करेंगी जो इस वार्षिक आकलन तथा पायलट से उत्पन्न होती हैं तथा औचक मूल्यंकनों का उपयोग करने के माध्यम से संभावित समाधानों की जांच करेंगी। जे-पाल साउथ एशिया अधिक सटीक तथा पारदर्शी बिलिंग प्रणालियों तथा आरईसी द्वारा आरंभ किए गए अन्य कार्यक्रमों के लिए स्मार्ट मीटरिंग जैसी नवोन्मेषी समाधानों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए कार्यक्षेत्र अध्ययन भी करेगी।
इस साझीदारी के जरिये, आरईसी और जे-पाल साउथ एशिया का उद्वेश्य डिस्कॉम को अपनी सेवाओं में अंतरालों की पहचान करने तथा 2020 की बिजली (उपभोक्ताओं का अधिकार) नियमावली के अनुरूप घरों को अधिक भरोसेमंद बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक पारदर्शी तथा साक्ष्य आधारित माध्यम उपलब्ध कराना है। डिस्कॉम की वार्षिक रैंकिंग रिपोर्ट भी आम लोगों को सुलभ होगी जिससे सभी राज्यों में बिजली के प्रावधान में अधिक जवाबदेही का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस समझौते पर हस्ताक्षर आरईसी के कार्यकारी निदेशक आर लक्ष्मणन (आईएएस) तथा जे-पाल साउथ एशिया की कार्यकारी निदेशक शोभिनी मुखर्जी के साथ एक समारोह के दौरान किया गया।
जे-पाल साउथ एशिया आईसी लिमिटेड को प्रोफेसर निकोलस रयान (येल विश्वविद्यालय- जे-पाल संबद्ध प्रोफेसर) के नेतृत्व में तकनीकी अनुसंधान सहायता तथा डाटा संग्रह और उपयोग पर क्षमता निर्माण भी उपलब्ध कराएगी।
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