RBI की कड़ी कार्रवाई: 3 बैंकों पर ₹1.29 करोड़ का जुर्माना, चौंकाने वाली लापरवाहियां उजागर!

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नई दिल्ली  19 अप्रैल 2025 -भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एक बड़ा झटका देते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कोटक महिंद्रा बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) पर कुल ₹1.29 करोड़ का जुर्माना ठोका है। RBI ने गंभीर खामियों का हवाला दिया है — जिनमें KYC नियमों का उल्लंघन, निष्क्रिय खातों पर गलत शुल्क वसूली और लोन वितरण में गड़बड़ियां शामिल हैं। यह कार्रवाई साफ संकेत देती है कि RBI अब किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगा।

कोटक महिंद्रा बैंक पर सबसे बड़ी मार: ₹61.4 लाख का जुर्माना

तीनों बैंकों में सबसे बड़ा जुर्माना कोटक महिंद्रा बैंक पर लगाया गया है — ₹61.40 लाख। RBI के “Loan System for Delivery of Bank Credit” और “Loans and Advances” दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए, बैंक ने कामकाजी पूंजी (working capital) की लिमिट ग़लत तरीके से मंज़ूर की और इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक ब्रोकर्स को दिए गए मार्जिन नियमों को भी ताक पर रखा। यह लापरवाही बैंक के कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल खड़े कर रही है।

IDFC फर्स्ट बैंक पर ₹38.6 लाख का जुर्माना: KYC में लापरवाही भारी पड़ी

IDFC फर्स्ट बैंक ने व्यक्तिगत व्यवसायियों (sole proprietorships) के चालू खाते खोलते समय ग्राहक की सही पहचान (KYC) प्रक्रिया का पालन नहीं किया। यह नियमों की खुली अवहेलना थी, जिससे फाइनेंशियल फ्रॉड का रास्ता खुल सकता था। RBI ने इस पर कड़ा एक्शन लेते हुए ₹38.60 लाख का जुर्माना लगाया और स्पष्ट कर दिया कि ग्राहक ऑनबोर्डिंग में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

पंजाब नेशनल बैंक की चौंकाने वाली हरकत: निष्क्रिय खातों पर शुल्क, ₹29.6 लाख का जुर्माना

सरकारी बैंक PNB ने निष्क्रिय खातों (dormant accounts) पर न्यूनतम बैलेंस न रखने पर शुल्क वसूला — जो RBI के नियमों के साफ खिलाफ है। जांच में सामने आया कि बैंक ने उन ग्राहकों से भी पैसा वसूला जिनके खाते लंबे समय से निष्क्रिय थे। इसके लिए RBI ने 4 अप्रैल 2025 को बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के तहत ₹29.60 लाख का जुर्माना लगाया।

RBI की सख्त चेतावनी

RBI ने स्पष्ट किया है कि इन जुर्मानों का सीधा असर ग्राहकों के पैसों पर नहीं होगा। लेकिन यह कार्रवाई बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक सख्त कदम है। RBI का यह संदेश साफ है — या तो सुधरो, या सज़ा भुगतो।

जैसे-जैसे नियामक निगरानी और सख्त होती जा रही है, यह कार्रवाई देश के बैंकिंग गलियारों में हलचल मचा रही है — यह साबित करते हुए कि चाहे निजी बैंक हो या सरकारी, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। बने रहिए — क्योंकि यह सफाई अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। कई और खुलासे जल्द सामने आ सकते हैं।

 

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