हिंद महासागर क्षेत्र में आपदा राहत संबंधी अभियानों हेतु पहले उत्तरदाता होने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की प्रशंसा की
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भविष्य की आपदाओं को रोकने तथा उनका प्रबंधन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ढांचा मजबूत करने का आह्वान किया
रक्षा मंत्री के भाषण की प्रमुख बातें:
· मानवीय संकटों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र ‘सागर‘ के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक
· हमारे सशस्त्र बल हमेशा जरूरत के समय देश के साझेदारों के साथ खड़े रहे हैं
· कोविड के बाद की दुनिया में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक समाधान खोजने की आवश्यकता
· उभरती अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के फायदे सभी के साथ साझा किया जाना चाहिए
· कोविड के बाद 2030 सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय रणनीतियों में नए विचारों की आवश्यकता
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आपदा प्रबंधन पर दिनांक 24 नवंबर, 2021 को
5वीं विश्व कांग्रेस का आभासी तौर पर उद्घाटन करते हुए कहा, “हमारे सशस्त्र बलों ने बार-बार प्रदर्शित किया है कि वे प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के बीच अंतर किए बिना देश के साझेदारों की परवाह करते हैं और उनके साथ खड़े रहते हैं ।” उन्होंने प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा व्यक्त सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास) की अवधारणा से घिरे हिंद महासागर के लिए भारत के दृष्टिकोण को दोहराया। रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि सागर में अलग-अलग और अंतर-संबंधित दोनों तत्व हैं जैसे कि तटीय राज्यों के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को गहरा करना; भूमि और समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए क्षमता बढ़ाना; सतत क्षेत्रीय विकास की दिशा में काम करना; नीली अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देना।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इन बिंदुओं में से प्रत्येक पर समान ध्यान देने की आवश्यकता है, मानवीय संकटों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना सागर के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है । उन्होंने कहा कि दुनिया और विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के साथ भारत का जुड़ाव काफी मजबूत रहा है, उन्होंने मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) अभियानों के लिए इस क्षेत्र में पहली प्रतिक्रिया देने वाले सशस्त्र बलों की सराहना की । उन्होंने कहा, आईओआर में भारत की महत्वपूर्ण स्थिति और सशस्त्र बलों की क्षमता दोनों साथ मिलकर, इसे मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) स्थितियों में महत्वपूर्ण योगदान देने योग्य बनाती है ।
रक्षा मंत्री ने हाल के वर्षों में भारत द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में कुछ उल्लेखनीय एचएडीआर मिशनों का विशेष उल्लेख किया, जिसमें 2015 में यमन में ऑपरेशन राहत भी शामिल है, जब भारत ने 6,700 से अधिक लोगों को बचाया और सुरक्षित निकाला, जिसमें 40 से अधिक देशों के 1,940 से अधिक नागरिक शामिल थे; 2016 में श्रीलंका में चक्रवात; 2019 में इंडोनेशिया में भूकंप; मोजाम्बिक में चक्रवात इडाई और जनवरी 2020 में मेडागास्कर में बाढ़ और भूस्खलन जैसे मामलों में भारतीय सहायता तुरंत प्रदान की गई थी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने भारत की प्रतिबद्धता पर कोई प्रभाव नहीं डाला है, जो बात अगस्त 2020 में मॉरीशस में तेल रिसाव और सितंबर 2020 में श्रीलंका में तेल टैंकर आग के दौरान भारत की प्रतिक्रिया से प्रदर्शित होता है ।
श्री राजनाथ सिंह ने भारत को अपने मित्र देशों को डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (डीआरआई) की अगुवाई करने और इस संबंध में विशेषज्ञता प्रदान करने पर भी प्रकाश डाला । उन्होंने कहा, “नई दिल्ली में आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर 2016 एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान भारत द्वारा पहली बार आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे (सीडीआरआई) के लिए गठबंधन का प्रस्ताव रखा गया था। आज यह विभिन्न देशों, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एजेंसियों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों का एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है, जिसका उद्देश्य
आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना है ।” रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत विशेषज्ञता और निर्माण क्षमताओं को साझा करने पर ध्यान देने के साथ अपने पड़ोसियों और मित्र देशों के साथ एचएडीआर सहयोग और समन्वय को गहरा करने के लिए नियमित रूप से अभ्यास कर रहा है ।
रक्षा मंत्री ने चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक परिदृश्य और दुनिया के सामने आने वाली कोविड-19 जैसी प्राकृतिक आपदाओं सहित पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों पर अपने विचार साझा किए । उन्होंने कहा, महामारी से निपटने के लिए, भारत ने कोविड-19 टीकों के उत्पादन के लिए एक बड़ी क्षमता विकसित की है और कई देशों को मदद दे रहा है । उन्होंने महामारी के बाद की दुनिया में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, महामारी ने न केवल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि आपदा प्रबंधन से संबंधित मामलों के लिए परस्पर दुनिया में बहुपक्षवाद की केंद्रीयता की पुष्टि की है ।
श्री राजनाथ सिंह ने अंतरिक्ष, संचार, बायो-इंजीनियरिंग, बायो-मेडिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में उभरती हुई अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, इनमें सटीक उपकरण और सेंसर शामिल हैं जो आपदाओं के जोखिमों का आकलन करने और पूर्व चेतावनी के माध्यम से संचार करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं । उन्होंने आपदा के बाद की वसूली और पुनर्निर्माण के लिए स्मार्ट प्रौद्योगिकियों पर भी प्रकाश डाला। रक्षा मंत्री ने इन प्रौद्योगिकियों के बेहतर अनुप्रयोग और उपयोग के लिए क्षमता विकास के लिए वित्त पोषण पहल के साथ-साथ इन प्रौद्योगिकियों के लाभों को साझा करने पर जोर दिया ।
रक्षा मंत्री ने भविष्य की आपदाओं को रोकने और प्रबंधित करने के लिए संरचनाओं के निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय ढांचे को मजबूत करने के लिए अधिक निकटता से सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने 2030 सतत् विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर महामारी के प्रभाव का व्यापक मूल्यांकन करने का भी सुझाव दिया, लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय रणनीतियों में नए विचारों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया ।
आपदा प्रबंधन पर 5वीं विश्व कांग्रेस (डब्ल्यूसीडीएम) का आयोजन नई दिल्ली में दिनांक 24-27 नवंबर, 2021 के बीच आईआईटी दिल्ली के परिसर में ‘कोविड-19 के संदर्भ में आपदा प्रतिरोध के निर्माण हेतु प्रौद्योगिकी, वित्त एवं क्षमता’ के व्यापक विषय पर किया जा रहा है । यह डिजास्टर मैनेजमेंट इनिशिएटिव्स एंड कन्वर्जेंस सोसाइटी की एक पहल है, जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है, जो आपदा जोखिम प्रबंधन के विभिन्न चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए दुनिया भर के शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और चिकित्सकों को एक ही मंच पर लाने के लिए है। इसका उद्देश्य जोखिमों को कम करने और आपदाओं के प्रतिरोध निर्माण के लिए जोखिमों और अग्रिम कार्यों की समझ बढ़ाने हेतु विज्ञान, नीति और प्रथाओं संबंधी बातचीत को बढ़ावा देना है ।
महानिदेशक, भारत चिकित्सा अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. बलराम भार्गव ने मुख्य भाषण दिया, जबकि 5वें डब्ल्यूसीडीएम के संयोजक डॉ. एस आनंदबाबू ने स्वागत भाषण दिया। आपदा न्यूनीकरण पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि सुश्री मामी मिजुतोरी ने भी उद्घाटन सत्र के दौरान अपनी बात रखी ।
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