रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने बांग्लादेश के सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर बांग्लादेश उच्चायोग का दौरा किया

रक्षा मंत्री के भाषण की मुख्य बातें:

  • बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 20वीं सदी के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना है।
  • एक-दूसरे की रक्षा एवं सुरक्षा चिंताओं का समर्थन करने के लिए भारत बांग्लादेश के साथ करीबी से लगातार काम करना चाहता है।
  • भारत अपने पड़ोसियों की सुरक्षा और विकास संबंधी चिंताओं के प्रति काफी संवेदनशील है और पड़ोसियों की ओर से भी उतनी ही संवेदनशीलता की उम्‍मीद करता है।
  • सशस्त्र बलों को पारस्परिक क्षमता बढ़ाने, आपात स्थिति से निपटने और हमारे लोगों के लिए सुरक्षा एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक-दूसरे के साथ तालमेल अवश्‍य बिठाना चाहिए।
  • युवा पीढ़ी के मन में मुक्ति संग्राम की भावना को जीवित रखने की आवश्यकता है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 22 नवंबर, 2021 को बांग्लादेश के सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग का दौरा किया जो हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है। यह कार्यक्रम बांग्लादेश उच्चायोग द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश के उच्चायुक्त श्री मुहम्मद इमरान, राजदूत, मिशन प्रमुख, बांग्लादेश सशस्त्र बल के अधिकारी और अन्य मित्र राष्ट्रों के प्रतिनिधि एवं संग्राम के दिग्गज उपस्थित थे।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में भारतीय सशस्त्र बल और भारत सरकार की ओर से बांग्लादेश सशस्त्र बल को बधाई दी और शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्‍होंने कहा, ‘भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए यह असाधारण महत्व का वर्ष है क्योंकि हम बांग्लादेश की मुक्ति की स्वर्ण जयंती, भारत-बांग्लादेश राजनयिक संबंधों के पचास साल और बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी मना रहे हैं। मैं इस महत्वपूर्ण समय में 1971 के मुक्ति संग्राम में मुक्तिवाहिनी के ओजपूर्ण संघर्ष को सलाम करता हूं। मुक्ति जुद्ध की भावना आज के बांग्लादेश सशस्त्र बल का मूलमंत्र है।’ े

बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति का प्रेरक नेतृत्व देश के स्वतंत्रता संग्राम में लोगों के लिए मार्गदर्शक प्रकाश था। उन्होंने आगे कहा कि बंग बंधु के आदर्शों ने बांग्लादेश को विकास की राह पर तेजी से अग्रसर करने की नींव रखी।

रक्षा मंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों के उन बहादुर सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की जो बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश के साथ खड़े रहे। उन्होंने कहा कि यह 20वीं शताब्दी के विश्व इतिहास में एक सुनहरा अध्याय है। उन्होंने भारत में असाधारण नेतृत्व को भी याद किया जो 1971 में अन्याय एवं अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले देश के समर्थन में सभी बाधाओं और सीमाओं को पार करते हुए खड़ा रहा। उन्होंने कहा कि 1971 की घटना के प्रति भारत की प्रतिक्रिया महज किसी देश की नीति का मामला नहीं थी बल्कि वह एक सभ्यता का प्रतिबिंब थी।  उन्‍होंने कहा, ‘भारत का पूरा समर्थन स्वाभाविक और ऐतिहासिक अनुभव, गहरे भावनात्मक, सांस्कृतिक, भाषाई एवं भ्रातृ संबंधों से प्रेरित था जो भारत और बांग्लादेश के लोगों को करीब लाता है। हमें साझा बलिदान की बुनियाद पर स्‍थापित इस दोस्‍ती पर गर्व है लगातार बढ़ रही है।’

श्री राजनाथ सिंह ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को 20वीं शताब्दि के इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना बताया। उन्‍होंने कहा, ‘यह अन्याय, अत्याचार और उत्पीड़न के खिलाफ एक नैतिक लड़ाई थी। आम लोगों को बेरहमी से हत्‍या की जा रही थी। ऑपरेशन सर्चलाइट के बर्बर अत्याचारों ने दुनिया की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था। हालांकि वह अत्याचार आम भारतीयों के दिलो-दिमाग में सबसे मजबूती से गूंजने लगा था। भारत में प्रत्येक ने वास्तव में महसूस किया कि उसके अपने भाई और बहन पर हमले हो रहे थे। भारत स्वयं गरीबी में था लेकिन बांग्लादेश के लोगों की मुक्ति की लड़ाई में पूरे दिल से नैतिक और भौतिक समर्थन देने में उसे कोई झिझक नहीं थी। यह एक ऐसे दमनकारी और अलोकतांत्रिक शासन से मुक्ति की लड़ाई थी जिसने जनादेश की अवहेलना की थी। भारत ने लाखों शरणार्थियों को शरण दी जबकि खुद हमारे लिए पर्याप्‍त संसाधन उपलब्‍ध नहीं थे। एक संघर्षशील देश ने दूसरे को कंधे का सहारा दिया।’ रक्षा मंत्री ने बांग्लादेश के आशुगंज में भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक बनाने के लिए बांग्लादेश सरकार की सराहना की।

रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि आज के स्वाभिमानी एवं पेशेवर बांग्लादेश सशस्त्र बल 1971 के मुक्ति संग्राम के अपने बुनियादी मूल्यों का ऋणी है। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि आज बांग्लादेश सशस्त्र बल संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में सबसे अधिक योगदान देने वालों में शामिल है और वह कार्यों के प्रति प्रतिबद्धता एवं पेशेवर नजरिये के लिए दुनिया भर में सम्‍मानित है।

श्री राजनाथ सिंह ने युवा पीढ़ी, विशेष रूप से सशस्त्र बलों में शामिल होने वालों के मन में मुक्ति संग्राम की भावना को जीवित रखने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा, ‘यह इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि 1971 में बांग्लादेश पर जबरदस्‍त अत्याचार और दुख ढाने वाली ताकतें और जिन ताकतों के खिलाफ हमने साथ मिलकर अपना खून बहाया, वे अभी खत्म नहीं हुई हैं। वे विभिन्न रूपों में हमारे चारों ओर मौजूद हैं और छिपी हुई हैं, लेकिन घृणा, असहिष्णुता एवं हिंसा के प्रति उनका रुख पहले से अलग नहीं है। हमारे लिए उनसे निपटने का काम 1971 के मुकाबले कम दुर्जेय नहीं है। हम कम से कम अपनी नई पीढ़ियों को 1971 की सच्ची कहानियों से अवगत करा सकते हैं।’

रक्षा मंत्री ने संतोष व्यक्त किया कि भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ रक्षा सहयोग तेजी से जारी है जिसकी शुरुआत मुक्ति संग्राम के दौरान हुई थी। उन्‍होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में कई गतिविधियों- रक्षा वार्ता, स्टाफ वार्ता, संयुक्त प्रशिक्षण, अभ्यास एवं उच्चस्तरीय आदान-प्रदान के जरिये दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग लगातार बढ़ा है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश के तीनों सेना प्रमुखों ने इस वर्ष भारत का दौरा किया और भारत के सेना एवं वायु सेना के प्रमुखों ने इस साल बांग्लादेश का दौरा किया है। भारत ने रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए बांग्लादेश को 50 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि यह कदम न केवल संपत्ति की खरीद में बल्कि रक्षा सामग्री का साथ मिलकर विकास और उत्‍पादन करने के लिए संयुक्त गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक-दूसरे की रक्षा एवं सुरक्षा चिंताओं का समर्थन करने के लिए भारत बांग्लादेश के साथ करीबी से लगातार काम करना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों की सुरक्षा एवं विकास संबंधी चिंताओं के प्रति बेहद संवेदनशील है और हम भारत की चिंताओं के प्रति पड़ोसियों की ओर से उतनी ही संवेदनशीलता की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में हमारे सशस्त्र बलों के लिए आपसी क्षमता बढ़ाने, आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने और हमारे लोगों के लिए सुरक्षा एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाना महत्वपूर्ण है।’

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और बांग्लादेश एक मजबूत एवं विस्तारित क्षेत्रीय सहयोग के जरिये दक्षिण एशिया के लोगों के लिए प्रगति एवं समृद्धि लाने वाले दमदार भागीदार हैं। उन्‍होंने कहा, ‘दोनों देश समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आज हम गरीबी एवं भूखमरी, आतंकवाद एवं चरमपंथी विचारधारा और जलवायु परिवर्तन जैसी आम चुनौतियों के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे हैं।’

श्री राजनाथ सिंह ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान बांग्लादेश द्वारा की गई प्रगति की सराहना की और कहा कि यह मौजूदा समय में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्‍होंने कहा, ‘देश भर में तमाम विकास कार्य हो रहे हैं। भारत को 10 अरब डॉलर के कुल पोर्टफोलियो के साथ बांग्लादेश का एक प्रमुख विकास भागीदार बनने का सौभाग्य प्राप्त है। यह भागीदारी पारस्‍परिक है- जैसा कि हाल ही में वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के सबसे बुरे दौर में दिखा और उस दौरान हमें बांग्लादेश से पर्याप्त चिकित्सा सहायता मिली थी।’

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के लिए बांग्लादेश की सफलता उसकी अपनी सफलता है और वह उसके अपने हित में है। उन्‍होंने कहा, ‘भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध ‘शोनाली अध्याय’ यानी सुनहरे दौर से गुजर रहा है। जहां सुरक्षा, व्यापार, कनेक्टिविटी एवं लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में सहयोग लगातार बेहतर हुआ है, वहीं परमाणु प्रौद्योगिकी, आईटी, नवाचार एवं ब्लू इकोनमी जैसे नए एवं उभरते क्षेत्रों में हमारी भागीदार का विस्तार हो रहा है।’

रक्षा मंत्री ने 6 दिसंबर के लिए बांग्लादेश को बधाई दी क्‍योंकि इसी तारीख को भारत ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र संप्रभु देश के तौर पर मान्यता दी थी। इसे भारत और बांग्लादेश के साथ-साथ दुनिया के 18 अन्य देशों में ‘मैत्री दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

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