कर्नाटक में भी राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर, मठ-मन्दिर और दरगाह की करेंगे जियारत

बेंगलुरू: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर्नाटक के अपने चार दिवसीय दौरे की शुरुआत 10 फरवरी को हैदराबाद-कर्नाटक छेत्र के कोप्पल से करेंगे. कोप्पल में जनसभा के बाद राहुल गांधी हुलीगेम्मा मंदिर में पूजा के लिए जाएंगे और फिर लिंगायतों के प्रसिद्ध गवि सिध्देश्वर मठ का दर्शन करेंगे. हुलीगेम्मा दुर्गा मां का मन्दिर है, तो वहीं गवि सिध्देश्वर मठ से होते हुए रास्ता पहाड़ी पर बने में शिव मंदिर को जाता है, जहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं. दोनों ही जगह लिंगायत जाति के लोगों के लिए अहम है. लिंगायत के अलावा इस इलाके में कुरुबा और मुस्लिम लोग भी बहुतायत में हैं. कुरुबा और मुस्लिम पर कांग्रेस की अच्छी पकड़ है.

लिंगायतों को अलग धर्म की मान्यता देकर बीजेपी के इस वोट बैंक को तोड़ने में जुटे मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या को उम्मीद है कि अगर लिंगायतों का वोट हासिल करने में वो कामयाब हो गए, तो हैदराबाद-कर्नाटक के साथ-साथ उत्तर कर्नाटक में भी कांग्रेस को फायदा होगा. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने राहुल गांधी के मठ मन्दिर जाने पर चुटकी लेते हुए कहा,”अब कांग्रेस को हिंदुत्व की अहमियत का एहसास हुआ है, लेकिन उनकी इस कवायद से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा, लोग सब जानते हैं.” इस राजनीतिक खींचतान के बीच 12 तारीख को वह कलबुर्गी (गुलबर्गा) के ख्वाजा बंदे नवाज़ की दरगाह भी जाएंगे और 13 तारीख को दिल्ली लौटने से पहले बिदर के “अनुभव मंटप्प” का दर्शन करेंगे.

ये वीरशेव्वा पंथ का आस्था केंद्र है, जहां 12वीं सदी में सन्त बसवण्णा ने यही से एक ऐसे समाज की नींव डालने की कोशिश को आगे बढ़ाया था, जिसमे जाती की जगह मानव मूल्यों को तरजीह दी जाए. राहुल गांधी के मन्दिर मठ और दरगाह के दौरे पर कर्नाटक कांग्रेस के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष डी के शिवकुमार का कहना है, “रास्ते में आने वाले मन्दिर, गुरुद्वारा, मज़ार, पर जाने में क्या हर्ज है. हम समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना चाहते हैं.”  वहीं, कर्नाटक विधान सभा मे विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टार ने कहा, “राहुल गांधी ने गुजरात में देवालयों के दर्शन किये, लेकिन हमारी बीजीपी को ही बहुमत मिला.”

कर्नाटक में इस बार बीजे पी और कांग्रेस तो आर-पार की लड़ाई लड़ ही रही है. साथ-साथ जेडीएस के अस्तित्व का भी सवाल है,जिसने बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाया है. भले ही कर्नाटक में बीएसपी की मजबूत पकड़ न हो, लेकिन उसके समर्थन से वोट कांग्रेस का कट सकता है और जेडीएस के साथ-साथ बीजेपी को फायदा मिल सकता है.

Comments are closed.