नहीं रहे देश की सबसे बड़ी योजना मनरेगा के जनक रघुवंश प्रसाद सिंह, लालू बोले इतनी दूर चले गए

न्यूज़ डेस्क : पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने रविवार को दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली। शनिवार को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जीवन रक्षा प्रणाली पर रखा गया था। हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से इस्तीफा दिया था। डॉक्टर सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शोक व्यक्त किया है।

 

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन पर दुख जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने कहा, ‘रघुवंश प्रसाद सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। मैं उनको नमन करता हूं। उनके निधन ने बिहार के साथ-साथ देश के राजनीतिक क्षेत्र में एक शून्य छोड़ दिया है। जमीन से जुड़ा व्यक्तित्व, गरीबी को समझने वाला व्यक्तित्व, पूरा जीवन बिहार के संघर्ष में बिताया। रघुवंश जी के भीतर अपने क्षेत्र के विकास की चिंता थी, उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री जी को अपनी एक विकास के कामों की सूची भेज दी। बिहार के लोगों की, बिहार के विकास की चिंता उस चिट्ठी में प्रकट होती है।’ 

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रघुवंश प्रसाद के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, ‘बिहार के वरिष्ठ राजनेता रघुवंश बाबू के निधन की सूचना से अत्यंत दुःख हुआ। उनका पूरा जीवन लोहिया जी और कर्पूरी ठाकुर जी के विचारों के प्रति समर्पित रहा। गरीब व वंचित वर्ग के कल्याण के लिए उनका समर्पण सदैव याद किया जाएगा। मैं उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ। ॐ शांति।’

 

 

वहीं लालू यादव ने कहा कि मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे हैं। लेकिन आप इतनी दूर चले गए। उन्होंने लिखा, ‘प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया? मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे है। लेकिन आप इतनी दूर चले गए। नि:शब्द हूं। दुःखी हूं। बहुत याद आएंगे।’

 

 

बिहार की वैशाली लोकसभा सीट से सांसद रहे रघुवंश प्रसाद का जन्म छह जून 1946 को वैशाली के ही शाहपुर में हुआ था। उन्होंने बिहार विश्वविद्यालय से गणित में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। अपनी युवावस्था में उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए आंदोलनों में भाग लिया था।

 

1973 में उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का सचिव बनाया गया था। 1977 से लेकर 1990 तक वे बिहार राज्यसभा के सदस्य रहे थे। 1977 से 1979 तक उन्होंने बिहार के ऊर्जा मंत्री का पदभार संभाला था। इसके बाद उन्हें लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया था। 1985 से 1990 के दौरान वे लोक लेखांकन समिति के भी अध्यक्ष रहे। 

 

1990 में उन्होंने बिहार विधानसभा के सहायक स्पीकर का पदभार संभाला था। 1996 में पहली बार वे लोकसभा के सदस्य बने। 1998 में वे दूसरी बार और 1999 में तीसरी बार लोकसभा पहुंचे। इस कार्यकाल के दौरान वे गृह मामलों की समिति के सदस्य रहे।

 

2004 में डॉक्टर सिंह चौथी बार लोकसभा पहुंचे। 23 मई 2004 से 2009 तक वे ग्रामीण विकास के केंद्रीय मंत्री रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में लगातार पांचवी बार उन्होंने जीत दर्ज की। हालांकि 10 सितंबर को उन्होंने राजद से इस्तीफा दे दिया था।

 

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