नई दिल्ली: संपत्ति की खराब गुणवत्ता की मार से जूझ रहे बैंकों में वित्त मंत्रालय पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड के माध्यम से अगले चार महीने में करीब 70,000 करोड़ रुपये डाल सकता है. सूत्रों ने इस संबंध में जानकारी दी. पिछले महीने, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक बैंकों को मजबूत करने के लिए अगले दो साल में 2.11 करोड़ रुपये डालने की घोषण की थी. इस योजना में 1.35 लाख करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड भी शामिल हैं. वर्तमान में, सरकार बॉन्डों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है और इस संबंध में महीने के अंत तक फैसला हो सकता है.
सूत्रों का कहना है कि एक बार संरचना का काम पूरा हो जाए तो बॉन्ड जारी करने का काम सरकार पहले ही कर देगी और प्रारंभिक मूल्यांकन यह दर्शाता है कि पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड 70,000 से 80,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है. हालांकि, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है.
दूसरी तिमाही के परिणाम आने के बाद वित्त मंत्रालय को विभिन्न बैंकों की आवश्यकताओं की बेहतर तस्वीर मिलेगी. वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार के पास पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड के लिए कई विकल्प हैं और सर्वोत्तम विकल्प का पता लगाया जाएगा.
पुनर्पूंजीकरण के अतिरिक्त, वित्त मंत्री ने अगले दो वर्षों में इंद्रधनुष योजना के तहत बैंकों को करीब 18,000 करोड़ रुपये देने की भी घोषणा की थी. उल्लेखनीय है कि अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) मार्च 2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर जून 2017 में 7.33 लाख करोड़ रुपये हो गई.
News Source: khabar.ndtv.com
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